Book Title: Prakaran Ratna
Author(s): Nagardas Pragjibhai
Publisher: Nagardas Pragjibhai

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Page 221
________________ [२१६] गावगएय णिपुलाए, कय विकय संनिहि उवरए, सवसंजे सखू ॥ १६ ॥ अलोलु निख्खू न रसेसु गिद्धे, जंतुं चरे जीविय नानिकंखी, इष्टिंच सकारणं पूयणंच, चए वियप्पा आणि दे जे स जि ॥ १७ ॥ नपरं वएज्जासि कायं कुसीले, जेणं च कुप्पिज्ज न तं वएका, जापिय पत्तेयं पुन्नपावं, अत्ताएं न समुक्कसे जे सजिख्खू ॥१८॥ न जाइ मत्ते नय रूवमत्ते, न लाजमत्ते नसुए मत्ते, मयाणि सव्वाणि विवज्जयंतो, धम्मज्झाए रए जे स निख्खू ॥ १९ ॥ पवेयए अज्झपयं महामुणी, धम्मे वि गवयइ परंपि, निरकम्म वज्जेज्ज कुसीललिंगं, नयावि हासं कुहुए जेस निरखू ॥२०॥ तं देहवासं असुई असासयं, सया चए निच्च हिय वियप्पा, छिंदितु जाइमरणस्स बंधणं, उवे निख्खू पुणागमं गई बेमि ॥ २१ ॥ इति निक्खू नामं दसम - मज्झयणं संम्मत्तं ॥

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