Book Title: Prakaran Ratna
Author(s): Nagardas Pragjibhai
Publisher: Nagardas Pragjibhai

View full book text
Previous | Next

Page 215
________________ [२१०] साहू गुणेऽसाहू, गिन्दादि साहू गुण मुच्चसाहू, वियाणिया अप्पगमप्पए, जो रागदोसेहिं समोस को ॥ ११ ॥ तदेव डहरं च मल्लगं वा, इबी पुमं पवश्यं गिहं वा, नोदीलए नोविय खिसएजा, थंनंच कोहंच चए स पुको ||१२|| जे भाषिया सययं माणयंति, जुत्तेष कन्नं निवेस ति; ते माणए मारिदे तवस्सी, जिदिए सच्च रए स पुजो ||१३|| तेसिं गुरूणं गुणसागराणं, सुच्चाण मेदावी सुभासियाई, चरे मुणी पंच रए तिगुत्तो, चउकसायाव गए स पुको ॥ १४ ॥ गुरु मिद सययं पडियरिय मुणी, जिणमय निजणे अभिगम कुसले, धुणिय रय. पुरेकरूं, जासुर मडलं गईं गय तिबेमि ॥ १५ ॥ ॥ इति विषय समाहीए तो उद्देसो सम्मत्तो ॥ ( गद्यम् ) सुयं मे श्रासं तेषं जगवया एव मरकायं इह खलु थेरेहिं भगवंतेहिं चत्तारि विजय समाही ठाणापन्नता, कयरे खलु ते थेरेहिं भ

Loading...

Page Navigation
1 ... 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230