Book Title: Prachin Chaityavandan Stuti Stavan Sazzay Sangraha Author(s): Shiv Tilak Manohar Gunmala Publisher: Shiv Tilak Manohar Gunmala View full book textPage 4
________________ ध्यानों में स्वर्ग सिधावे, अचरज इस काल में आवे । वन्दन गुरुदेव को मेरा, कहे त्रैलोक्य शिशु तेरा ॥ ५ ॥ परम पूज्य शिव तिलक गुरुभ्योनमः [राग-कुमार गाँव में प्रभुजी आवे ] भावे प्रणमुहृदये समरु, गुणवंत गुरुराया। गुरु बिना श्रा जीवन पंथे, नहीं कोई शीतल छाया ॥ गुर्जर रम्य देशे पुनीत भूमिये रामपुरा की हरियाली ॥ रत्न वीरों को खान भरी, जन्मे गुरु शिव पुण्य शाली ॥१॥ भावे प्रणम् ।। संसार लागे खारो, चारित्र लागे प्यारो । करवा सफल अघतारो, करी निश्चय एक धारो । संयम है दिव्य सथवारो ॥२॥ राधनपुर नगरे, आयु बावीस बरसे । दीक्षा का भाव प्रगटाया। शिवश्रीजी गुरु चरणे, जीवन अरप्यो अति चंगे ॥ नाम प्रमाणे गुण विकसावे, शिष्यो भ्रमर बनि आवे । सौरभ जाने दिगन्त प्रसरे, तिलकश्रीजी गुरु होवे ॥३॥ अजब वैरागी, अजोड़ महा ज्ञानी । रत्न त्रैय प्रेम से ध्यावे । विनय भक्ति सुन्दर भावे, गुरु शिव पाट दीपावे ॥४॥ अद्भूत सुखकारी, मुद्रा मनोहारी, जाने शान्ति को करनारी, समताधारी गुरुवर का, वियोग हमको है दुखदायी ॥५॥ दो हजार नव की साले, पोपवदी एकादशी स्वर्ग सिधावे ॥ मनोहर शिव्या प्रशिष्या, मिली गुरु गुण गावे सभी भावे ।Page Navigation
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