Book Title: Prachin Chaityavandan Stuti Stavan Sazzay Sangraha
Author(s): Shiv Tilak Manohar Gunmala
Publisher: Shiv Tilak Manohar Gunmala

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Page 3
________________ -: दो शब्द :प्रिय पाठकों, . हमारी बहुत दिनों से यह भावना थी कि हिन्दी अक्षर में ऐसी कोई पुस्तक नहीं हैं । जिसमें पुराने आचार्यो की बनाई हुई स्तुति, स्तवन, सज्झाय वगैरा हो । हमारी इस विनंती को स्वीकार कर पूज्य वयोवद्ध साध्वीजी श्री मनोहर श्रीजी महाराज सा. ने हिन्दी अक्षर में “शिव-तिलक-मनोहर गुणमाला” नामक पुस्तक तैयार कर प्रकाशित करवाई है आशा है हिन्दी अक्षर जाननेवाले पाठकगण इससे लाभ उठावेगें। ____ इस पुस्तक के छपाने में पूरी सावधानी बरती गई है, फिर भी दृष्टि दोष से कोई त्रुटि रह गई हो तो पाठकगण सुधारकर पड़े। . प्रकाशक श्री आगमोद्धारक आनन्दसागर सूरिश्वरजी गुरुभ्योनमः [राग-जल] श्री श्रानन्दसागर सूरिराया, अहोमहा पुण्य से पाया। अपूर्व ज्ञान को धरते, संशय भवि जीव का हरते ॥ जिन्हों से वादी भी डरते, न कोई सामना करते ॥ आनन्द०॥१॥ आगम की वाचना दीनी, मुनि गण भाव से लीनी। आगमोद्धार को किया, अपूर्व लाभ जिनने लिया ॥२॥ रक्षण महा तीर्थ का किया, अमारी दान को दिया। राजा को बोध भी करते, पाप सभी जीव का हरते ॥३॥ आगम मन्दिर को किया, अक्षय आगम को किया। ऐसे गुरुराज को ध्यावे, नरक तिर्यंच मिट जावे ॥४॥

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