Book Title: Par se Kuch bhi Sambandh Nahi Author(s): Ratanchand Bharilla Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur View full book textPage 1
________________ पर से कुछ भी सम्बन्ध नहीं ( विश्व व्यवस्था की कारण कार्यमीमांसा : प्रश्नोत्तर ) - लेखक : पण्डित रतनचन्द भारिल्ल शास्त्री, न्यायतीर्थ, साहित्यरत्न, एम. ए., बी. एड. प्राचार्य : श्री टोडरमल दि. जैन सि. महाविद्यालय, जयपुर प्रकाशक : पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट ए-४, बापूनगर, जयपुर ३०२०१५ प्रथम संस्करण २ हजार ५०० (२५ जून, १९९७) द्वितीय संस्करण : ३ हजार (२५ जनवरी, १९९८ ) तृतीय संस्करण : ३ हजार (२७ मई २००१, श्रुत पंचमी) मूल्य : सात रुपये टाइपैसैटिंग : त्रिमूर्ति कम्प्यूटर्स ए-४, बापूनगर, जयपुर मुद्रक : जयपुर प्रिन्टर्स एम.आई. रोड जयपुर क्रम १. २. ३. ४. ५. ३. ४. ५. प्रस्तुत संस्करण की कीमत कम करनेवाले वातारों की सूची १. श्री आलोककुमारजी जैन, कानपुर २. श्री जवेरचन्दजी दलीचन्दजी जैन, मुम्बई ३. श्री पन्नालालजी नावड़िया, कुरावड़ ४. श्री शान्तिनाथजी सोनाज, अकलूज ५. श्री शान्तिलालजी टाया, उदयपुर ५००.०० ६. श्री अजितकुमार शान्तिनाथजी सोनाज, अकलूज २५०.०० ७. श्री चन्द्रकान्त शान्तिनाथजी सोनाज, अकलूज २५०.०० कुल राशि : ४५०१.०० विषयक्रम विषय अपनी बात वस्तु स्वातन्त्र्य की घोषणा दुःख का मूल कारण विश्वव्यवस्था का स्वरूप कार्य-कारण स्वरूप एवं संबंध निमित्तोपादान कारण स्वरूप एवं भेद प्रभेद कार्य की निष्पन्नता में निमित्तों का स्थान अंतरंग कारण से कर्म ( कार्य ) की उत्पत्ति ६. ५. ६. निमित्तनैमित्तिकता एक सहज सम्बन्ध ७. निमित्तों को कारण कहने का औचित्य ८. द्रव्यार्थिक पर्यायार्थिक निमित्त उपादान ९. प्रायोगिक प्रश्नोत्तर १०. परिशिष्ट १ ११. परिशिष्ट २ द्रव्य गुण पर्याय की स्वतन्त्रता कार्य कारण सम्बन्ध एक विश्लेषण १०००.०० १०००.०० १०००.०० ५०१.०० पृष्ठ ४ ५ ९ १० ११ १५ २४ ३३ ३८. ४५ ५६. ६४ ६७ ७९ ८५ ८६Page Navigation
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