Book Title: Panchsangraha Part 09
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 202
________________ उपशमनादि करणत्रय - प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट ६ १७३ मोहनीय का जो थोड़ा सा भाग अभी सत्ता में है उतना भाग सत्ता में हो और बद्धायु हो तो अनिवृत्तिकरण पूर्ण होने के साथ आयु पूर्ण हो जाये तो काल करके चार में से किसी भी गति में जाकर सत्ता में शेष रहे सम्यक्त्व मोहनीय का शेष भाग उदय उदीरणा से भोग कर क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त करता है एवं पूर्व में कृतकरण तक शुक्ल लेश्या वाला था परन्तु उसके बाद परिणामों के अनुसार किसी भी लेश्यावाला होता है । इसलिए क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त करने का प्रारम्भक मनुष्य होता है परन्तु क्षायिक सम्यक्त्व की उत्पत्ति की पूर्णता चारों गति में हो सकती है । अबद्धायुष्क अथवा वैमानिक देव का प्रथम तीन नरक का एवं युगलिक मनुष्य तिर्यंच का आयु बांधा हुआ क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त कर सकता है परन्तु भवनपति आदि देवनिकाय त्रय का, चौथे आदि नरक का एवं संख्यात वर्ष के मनुष्य तिर्यंच का आयु बांधे हुए जीव क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त नहीं कर सकते हैं । यदि अबद्धायुष्क क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त करे तो दर्शनत्रिक का क्षय करने के बाद अन्तर्मुहूर्त में ही क्षपक श्रेणि करके केवलज्ञान प्राप्त करता है, जिससे वह चरम शरीरी होता है और देवायु बांधने के बाद क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त करने वाला दर्शनत्रिक का क्षय करने के बाद उपशम श्रेणि कर सकता है परन्तु शेष आयुओं को बाँधने के बाद यदि क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त करे तो वह जीव उपशम श्रेणि भी नहीं कर सकता है । देव अथवा नरक आयु बांधने के पश्चात यदि क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त करे तो जिस भव में क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त किया है वह मनुष्य भव, दूसरा देव अथवा नरक भव करके तीसरे भत्र में मनुष्य होकर मोक्ष में जाता है । परन्तु यदि तीसरे भव में मनुष्य होने पर भी वहाँ काल या क्षेत्र के प्रभाव से मोक्ष प्राप्ति की सामग्री न मिल सके तो वहाँ देवायु बांध कर चौथा भव देव का कर मनुष्य में आकर कोई जीव पांचवें भव में भी मोक्ष में जाता है और यदि युगलिक मनुष्य या तिर्यंच की आयु बांधने के बाद क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त करे तो वह पहला मनुष्य का भव, दूसरा युगलिक मनुष्य या तिथंच का भव, युगलिक काल करके अवश्य देवलोक में जाते हैं अतः तीसरा देव का भव कर चौथे भव में मनुष्य होकर मोक्ष में जाता है / For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jory.org

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