Book Title: Panchsangraha Part 09
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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पंचसंग्रह (8)
नपुंसकवेद तथा स्त्रीवेद दोनों एक साथ सम्पूर्ण उपशांत हो जाते हैं और उसी समय पुरुषवेद का बन्धविच्छेद होता है और बाद के समय से अवेदक होकर हास्यष्टक् और पुरुषवेद इन सात प्रकृतियों को एक साथ उपशमित करता है । उसके बाद तो पुरुषवेदोदय में श्रेणी पर आरूढ़ होने वाला क्रोधादि को जैसे उपशमित करता है, उसी प्रकार यहाँ भी उपशांत करता है ।
इस प्रकार से चारित्र मोहनीय की सर्वोपशमना विधि जानना चाहिये । प्रस्तुत कथन विहंगावलोकनमात्र है । विस्तृत वर्णन ग्रंथ में देखिये |
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