Book Title: Panchatantra
Author(s): Vishnusharma, Motichandra
Publisher: Rajkamal Prakashan

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Page 6
________________ नग्रजा का पहला पश्चतन्त्र तयार किया जितका ५तरा तस्करण रपर ई० ही में हुआ । इस प्रकार शेक्सपियर के जीवन काल में ही अंग्रेजी भाषा को संस्कृत-साहित्य की यह निधि अनुवाद के रूप में मिल चुकी थी। अंग्रेजी का यह अनुवाद संस्कृत से पहलवी, पहलवी से अरबी, अरबी से हिब्रू, हिव से लैटिन, लैटिन से इटैलियन और इटैलियन से अंग्रेजी, इस प्रकार मूल ग्रन्थ की छठी पीढ़ी में था । अरबी कलीलः व दिमनः का एक अनुवाद फारसी में नसरुल्ला ने बारहवीं शती में किया । उसी से पन्द्रहवीं शती में पुनः फारसी में अनवार सुहेली के नाम से एक संस्करण तैयार हुअा। इससे भी लगभग उतनी ही भाषाओं में उतने ही अधिक संस्करण तैयार हुए जितने अरबी के कलीलः व दिमनः के। तुर्की, पश्चिमी एशिया और मध्य एशिया की भाषा में भी अनवार सुहेली के अनुवाद हुए हैं। १६४४ ई० में फ्रेञ्च भाषा में उसका अनुवाद छपा। लोगों में यह पिलपिली साहब की कहानियों के नाम से मशहूर हो गया। ( Fables of Pilpay )। प्रसिद्ध फ्राँसीसी कहानी-लेखक ला फौतें ने अपने संग्रह की अनेक कहानियाँ विद्वान् पिलपिली की कथात्रों से ली हैं। अस्सी वर्ष बाद १७२४ में फारसी के अनवार सुहेली के तुर्की अनुवाद हुमायूँ नामा से एक दूसरा फ्रेञ्च अनुवाद 'बिदपई की भारतीय कहानियाँ' इस नाम से प्रकाशित हुआ । इन दो ग्रन्थों के मूल फ्रेञ्चरूप और अन्य भाषाओं में अनुवाद लोगों को बहुत पसन्द आए । यूनान, हंगरी, पोलैण्ड, हॉलैण्ड, स्वीडन, जर्मनी और इंग्लिस्तान, इन देशों में ये अनुवाद खूब चले । अंग्रेजी में 'पिलपिली' का संस्करण पहली बार १६६६ में छपा और उसके बाद अठारहवीं सदी-भर दमादम प्रकाशित होता रहा। १. पञ्चतन्त्र के विदेशों में अनुवाद-सम्बन्धी इन सूचनाओं के लिए मैं श्री एजर्टन द्वारा पुनः-घटित पञ्चतन्त्र ( Panchatantra Reconstructed ) पूना का ऋणी हैं।

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