Book Title: Panchatantra Author(s): Vishnusharma, Motichandra Publisher: Rajkamal Prakashan View full book textPage 5
________________ दिमनः, जो करटक व दमनक इन दो नामों के रूप हैं । अब्दुल्ला ने अपने अनुवाद में एक भूमिका लिखी है एवं और कई कहानियाँ भी अन्त में जोड़ दी हैं। इस रूप में यह ग्रन्थ अरबी भाषा के सबसे अधिक लोकप्रिय ग्रन्थों अरबी अनुवाद के आधार पर पञ्चतन्त्र के विदेशी अनुवादों का वह सिलसिला शुरू हुआ जिसने सारे यूरोप की भाषाओं को छा लिया । ग्यारहवीं शती में यूनानी भाषा में यूरोप का सबसे पुराना अनुवाद हुआ। उसी से रूसी और पूर्वी युरोप की अन्य स्लाव भाषाओं में कितने ही अनुवाद हुए । कालान्तर में इस यूनानी अनुवाद का परिचय पश्चिमी यूरोप के देशों को हुआ और सोलहवीं शती से लेकर अनेक बार लैटिन, इटैलियन और जर्मन भाषाओं में इसके अनुवाद हुए। लगभग १२५१ ई० में अरबी पञ्चतन्त्र का एक अनुवाद प्राचीन स्पैनिश भाषा में हुआ। हेब्रू भाषा में भी अरबी से ही एक अनुवाद पहले हो चुका था। उसके आधार पर दक्षिणी इटली के कपुत्रा नगर में रहने वाले जौन नामक यहूदी ने लैटिन में उसका एक अनुवाद १२६० और १२७० ई० के बीच में किया । इसका नाम था 'कलीलः दमनः की पुस्तक-मानवी जीवन का कोष'। मध्यकालीन यूरोपीय साहित्य में जौन कपुत्रा के अनुवाद की बड़ी धूम रही और उससे पश्चिमी यूरोप के दसियों देशों ने अपनी-अपनी भाषा में पञ्चतन्त्र के अनुवाद किये । १४८० के लगभग कपुत्रा वाले पञ्चतन्त्र के संस्करण का अनुवाद जर्मन भाषा में हुआ। यह इतना लोकप्रिय हुआ कि एक संस्करण के बाद दूसरा संस्करण जनता में खपता गया; यहाँ तक कि पचास वर्ष में बीस से अधिक संस्करण बिक गए। डेन्मार्क, हॉलैण्ड, आइसलैण्ड अदि की भाषाओं में भी इस जर्मन संस्करण के अनुवाद हुए । कपुश्रा के लैटिन अनुवाद से सीधे ही स्पेन, चेक और इटली की भाषाओं में अनुवाद किये गए । दोनी नामक एक लेखक ने १५५२ ई० में जो अनुPage Navigation
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