Book Title: Panchatantra
Author(s): Vishnusharma, Motichandra
Publisher: Rajkamal Prakashan

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Page 3
________________ 45 AITI 123546. 4=37;91 प्रामुख पञ्चतन्त्र संस्कृत - साहित्य की अनमोल कृति है । न केवल इस देश में किन्तु अन्य देशों में भी, विशेषतः इस्लामी जगत् और यूरोप के सभी देशों के कहानी - साहित्य को पञ्चतन्त्र से बहुत बड़ी देन प्राप्त हुई । एक भारतीय विद्वान् ने डॉ० विएटरनित्स से प्रश्न किया, " श्रापकी सम्मति में भारतवर्ष की संसार को मौलिक देन क्या है ।" इसके उत्तर में संस्कृत - साहित्य के पारखी विद्वान् डा० विण्टरनित्स ने कहा - " एक वस्तु, जिसका नाम मैं तुरन्त और बेखटके ले सकता हूँ, वह पशु-पक्षियों पर ढालकर रचा हुआ कहानी - साहित्य है, जिसकी देन भारत ने संसार को दी है ।" कहानियों के क्षेत्र में भारतीय कहानी-संग्रहों ने विश्व - साहित्य को प्रभावित किया है । पशुपक्षियों की कहानी का सबसे पुराना संग्रह जातक कथाओंों में है जो वस्तुतः लोक में प्रचलित छोटी-बड़ी कहानियाँ थीं और नाम मात्र के लिए जिनका सम्बन्ध बुद्ध के जीवन के साथ जोड़ दिया गया । जातकों की कहानियाँ सीधी-सादी, बिना सँवारी हुई अवस्था में मिलती हैं। उन्हीं का जड़ाऊ रूप पञ्चतन्त्र में देखने को मिलता है, जो एक महान् कलाकार की पैनी बुद्धि और उत्कृष्ट रचना-शक्ति का पूर्ण कलात्मक उदाहरण है 1 पञ्चतन्त्र के लेखक विष्णुशर्मा नामक ब्राह्मण थे । कुछ लोग इस सीधे-सादे तथ्य में अनावश्यक सन्देह करते हैं । विष्णुशर्मा के मूल ग्रन्थ के आधार पर रची हुई पञ्चतन्त्र की वाचनात्रों में उनका नाम ग्रन्थकर्ता के रूप में दिया हुआ है, जिसके सत्य होने में सन्देह का कोई कारण नहीं दीखता । किन्तु उनके विषय में और कुछ विदित नहीं । पञ्चतन्त्र के कथामुख प्रकरण से केवल इतना श्राभास मिलता है कि वे भारतीय नीतिशास्त्र

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