Book Title: Panch Pratikraman Sutra Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat, Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak View full book textPage 7
________________ __नमो नमः खरतरगच्छनभोमणिश्रीमोहनमुनीश्वरजिनयशःसूरिपदपंकजेयः मूलमें अन्वयके अंक तथा विशेष अर्थकी टिप्पणि युक्त शब्दार्थमात्र हिंदी अर्थ सहित साधु साध्वी श्रावक श्राविका योग्य 55555555555555 पंच-प्रतिक्रमण-सूत्र मूत्र ? नमस्कारहो, १ अरिहंतोंकुं। नमस्कारहो, सिद्धोंकुं । नमस्कारहो, ३ आचार्योकुं। नमस्कारहो, उपाध्यायोंकुं। नमस्कारहो, लोकमें रहे,सर्व, नवकार नमो, अरिहंताणं।नमो,सिद्धाणं। नमो, आयरियाणं। नमो, उवज्झायाणं । नमो, लोए,सव्व. मंत्र साधुओंकुं। यह, पांच, नमस्कार । सर्व, पापाकुं, नाश करनेवाला है । मंगलामें, फेर. सर्व । पहेला, होता है, मंगल। साहूणं। एसो,पंच, नमुक्कारो। सव्व, पाव, प्पणासणो। मंगलाणं, च, सव्वेसिं। पढम, हवइ, मंगलं। थापना- शुद्ध स्वरूपके धारक १ ज्ञान २ दर्शन ३ चारित्र सहित ४ सद्दहणा शुद्धि ५ प्ररूपणा शुद्धि ६ दर्शन शुद्धि सहित ७ जीके १.३॥ पंचाचार पाले ८ पलावे ९ अनुमोदे १० मनोगुप्ति ११ वचनगुप्ति १२ कायगुप्ति १३ आदरे । बोल १ रागादि शत्रुओंको हणनेकाले । २ बंधे ८ कर्मोको भस्म (नाश) करनेवाले | ३ पंचाचार पालने-पलाने वाले । ४ पासमें रहे शिष्यादिको पढानेवाले । जी५ ज्ञानादि रत्नत्रयीके साधनेवाले । 55555555555555555555555 ॥२॥ Jain Education n ational For Personal Private Use OnlyPage Navigation
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