Book Title: Panch Pratikraman Sutra Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat, Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak View full book textPage 5
________________ hhhhhhh 444454645454545454545454545454545454147545 ॐ मूत्रांक मूत्र काम पत्रांक मूत्रांक सूत्र नाम पत्रांक मूत्रांक मूत्र नाम पत्रांक मूत्रांक मूत्र नाम पत्रांक ९० भवनदेवी स्तुति ८५१०२ संथारा पोरिसी १४/११४ नवपद शांतिनाथ चै० ११५१२६ पंचमीस्तुति(भाषाकी)१२२ ११ क्षेत्रदेवता स्तुति ८.१०३ पाक्षिकादि प्रतिक्रमण ११५ पार्श्वनाथ चैत्यवंदन ११४२२७ पार्श्वनाथ चैत्यवंदन १२३ ९२ नमोऽस्तु वर्द्धमानाय ८१ _ विधि ११/११६ पार्श्वनाथ सावन ११०/१२८ चिंतामणि पार्श्वनाथ ९३ संसारदावा स्तुति ८२१०४ छींकादि दोषनिवारण ११७ इग्यारस चैत्यवंदन ११ स्तवन (संस्कृत) १०३ ९४ चिंतामणि पार्थ जिन विधि १०२/११८ इग्यारस थड ११०/१२१ पाश्चेजिन स्तुति १०३ स्तवन ८४|१०५ अजित शांति स्तव १०२/११९ सीमंधर थुइ (पाकृत) ११. यह दूसरी वेलाके पत्र १५ लघु अजित शांति स्तव ८५१०६ पाक्षिकादि तिथि मंतव्य'१५,२० पंचमी थुइ (संस्कृत) ११० अंक १२१ से है ९६ वरकणय १७०जिनवंदन ९१ १०७ श्रीवीर चैत्यवंदन ११६/१२१ अष्टमीकी थुइ (संस्कृत)।२० पंचमीका बडा स्तवन १२१ +९७ स्तंभन पार्श्वनाथ चैत्यवंदन९११०८ श्रोवीर स्तवन ११६/१२२ इग्यारसकी थुइ (सं०) १२६ श्री गोडि पार्श्वनाथ ९८ सिरिथंभणयट्ठिय गाथा ९३/१०१ शांतिजिन चैत्यवंदन ११७/१२३ चीजको कहनेका । स्तवन १२२ ९१ श्री जिनदत्त मूरिजी श्रीजिन|११० सीमंधर जिन चैत्य- | सीमंधर स्तवन १२१ मौन एकादशीका के कुशल मूरिजीका काउस्सग्ग१३/ वंदन (संस्कृत) ११७/१२४ वीर चैत्यवंदन १२० स्तवन १२३ १०० चउक्कसाय चैत्यवंदन १३/१२पंचज्ञान(तथा)अष्टमीका १२५ वीर जिन कल्याण वीर मुणो मोरी वीनती १०१ अर्हतो भगवंत०१४ चैत्यवंदन ११८ स्तुनि १२० स्तवन १२३ .फफफफफफफ4 For Personal Private Use OnlyPage Navigation
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