Book Title: Padmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas Author(s): Ramjit Jain Publisher: Pragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut View full book textPage 3
________________ धर्मानुरागी बन्धु, जय जिनेन्द्र अतीत के दीपक को हाथ में लेकर उसके प्रकाश में की जाने वाली भविष्य की यात्रा ही सही, सुरक्षित और सार्थक होती है। आज जो वर्तमान है, वही कल अतीत (इतिहास) बनेगा । अतः वर्तमान सच लिखा जाना चाहिए। ऐसी अवस्था में आपसे विनम्र निवेदन है कि भविष्य - दृष्टा बनकर जातीय उत्थान के लिए इस ग्रंथ को पढ़कर अपने विचारों और भविष्य के लिए अपने सुझावों से हमें अवगत करा सकें तो हमें प्रसन्नता होगी।Page Navigation
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