Book Title: Niyam Sara
Author(s): Vijay K Jain
Publisher: Vikalp
View full book text
________________
Niyamasāra
नियमसार
गाथा
--- Verse No.
Page
92
179
उत्तमअटुं आदा तम्हि ठिदा उम्मग्गं परिचत्ता जिणमग्गे जो दु उसहादिजिणवरिंदा एवं काऊण
86
171
140
243
102
193
101
193
34
77
113
एगो मे सासदो अप्पा एगो य मरदि जीवो एगो य एदे छद्दव्वाणि य कालं मोत्तूण एदे सव्वे भावा ववहारणयं एयरसरूवगंधं दोफासं तं हवे एरिसभेदब्भासे मज्झत्थो होदि एरिसयभावणाए ववहारणयस्स एवं भेदब्भासं जो कुव्वइ
57
164
159
---
106
198
18
43
63
135
110
204
111
206
70
146
121
216
66
141
कत्ता भोत्ता आदा पोग्गलकम्मस्स कदकारिदाणुमोदणरहिदं तह कम्ममहीरुहमूलच्छेदसमत्थो कम्मादो अप्पाणं भिण्णं भावेइ कायकिरियाणियत्ती काउस्सग्गो कायाईपरदव्वे थिरभावं परिहरत्तु कालुस्समोहसण्णारागद्दोसाइअसुहकिं काहदि वणवासो कायकिलेसो किं बहुणा भणिएण दु वरतवचरणं कुलजोणिजीवमग्गणठाणाइसु केवलणाणसहावो केवलदंसणकेवलमिंदियरहियं असहायं तं कोहं खमया माणं समद्दवेणज्जवेण कोहादिसगब्भावक्खयपहुदिभावणाए
124
221
117
212
123
96
185
11
29
115
210
114
209
316

Page Navigation
1 ... 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412