Book Title: Niyam Sara
Author(s): Vijay K Jain
Publisher: Vikalp

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Page 396
________________ Niyamasara Name of the Scripture Acārya Umāsvāmi's (contd.) Tattvärthasūtra 330 ➖➖➖ --- ➖➖➖ --- --- --- --- ➖➖➖ सूत्र एकप्रदेशादिषु भाज्यः असंख्येयाः प्रदेशा आकाशस्यानन्ताः औपशमिक क्षायिकौ प्रमत्तयोगात्प्राणव्य... असदभिधानमनृतम् अदत्तादानं स्तेयम् मैथुनमब्रह्म मूर्च्छा परिग्रहः ईर्याभाषैषणादान... सम्यग्योनिग्रहो गुप्तिः आर्तरौद्रधर्म्यशुक्लानि परे मोक्षहेतू शुक्लेचा पूर्वविदः धर्मास्तिकायाभावात् *** ........... क्रमांक (५-१४) (५-८) (५-९) (२-१) (७-१३) (७-१४) (७-१५) (७-१६) (७-१७) (९-५) (९-४) (९-२८) (९-२९) (९-३७) ( १०-८) नियमसार Page 80 81 82 93 124 127 128 129 130 132 141 175 234 259 309

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