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Niyamasāra
नियमसार
गाथा
--- Verse No.
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उत्तमअटुं आदा तम्हि ठिदा उम्मग्गं परिचत्ता जिणमग्गे जो दु उसहादिजिणवरिंदा एवं काऊण
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एगो मे सासदो अप्पा एगो य मरदि जीवो एगो य एदे छद्दव्वाणि य कालं मोत्तूण एदे सव्वे भावा ववहारणयं एयरसरूवगंधं दोफासं तं हवे एरिसभेदब्भासे मज्झत्थो होदि एरिसयभावणाए ववहारणयस्स एवं भेदब्भासं जो कुव्वइ
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कत्ता भोत्ता आदा पोग्गलकम्मस्स कदकारिदाणुमोदणरहिदं तह कम्ममहीरुहमूलच्छेदसमत्थो कम्मादो अप्पाणं भिण्णं भावेइ कायकिरियाणियत्ती काउस्सग्गो कायाईपरदव्वे थिरभावं परिहरत्तु कालुस्समोहसण्णारागद्दोसाइअसुहकिं काहदि वणवासो कायकिलेसो किं बहुणा भणिएण दु वरतवचरणं कुलजोणिजीवमग्गणठाणाइसु केवलणाणसहावो केवलदंसणकेवलमिंदियरहियं असहायं तं कोहं खमया माणं समद्दवेणज्जवेण कोहादिसगब्भावक्खयपहुदिभावणाए
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