Book Title: Niyam Sara
Author(s): Vijay K Jain
Publisher: Vikalp

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Page 387
________________ गाथा अनुक्रमणिका INDEX OF VERSES गाथा --- Verse No. Page 90 176 91 178 167 280 136 238 135 236 मिच्छत्तपहुदिभावा पुव्वं जीवेण मिच्छादसणणाणचरित्तं चइऊण मुत्तममुत्तं दव्वं चेयणमियरं सगं मोक्खपहे अप्पाणं ठविऊण य कुणदि मोक्खंगयपुरिसाणं गुणभेदं जाणिऊण मोत्तूण अट्टरुदं झाणं जो झादि मोत्तूण अणायारं आयारे जो दु कुणदि मोत्तूण वयणरयणं रागादीभाववारणं । मोत्तूण सयलजप्पमणागयसुहमसुहवारणं मोत्तूण सल्लभावं णिस्सल्ले जो दु साहु 89 175 169 166 95 183 173 --- 74 155 रयणत्तयसंजुत्ता जिणकहियपयत्थदेसया रागेण व दोसेण व मोहेण व रायादीपरिहारे अप्पाणं जो दु 57 127 137 240 157 266 लद्भूणं णिहि एक्को तस्स फलं लोयायासे तावं इदरस्स अणंतयं लोयालोयं जाणइ अप्पाणं णेव 36 79 169 284 143 248 45 103 113 208 153 262 वट्टदि जो सो समणो अण्णवसो वण्णरसगंधफासा थीपुंसणउंसयादि वदसमिदिसीलसंजमपरिणामो वयणमयं पडिकमणं वयणमयं वयणोच्चारणकिरियं परिचत्ता ववहारणयचरित्ते ववहारणयस्स वावारविप्पमुक्का चउव्विहविज्जदि केवलणाणं केवलसोक्खं विरदो सव्वसावजे तिगुत्तो 122 218 55 117 75 157 182 304 125 223 . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 321

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