Book Title: Niyam Sara
Author(s): Vijay K Jain
Publisher: Vikalp

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Page 388
________________ Niyamasāra नियमसार गाथा --- Verse No. Page --- 51 117 विवरीयाभिणिवेसविवज्जियविवरीयाभिणिवेसं परिचत्ता 139 242 12 29 66 134 235 53 117 54 117 104 196 सण्णाणं चउभेयं मदिसुदओही समयावलिभेदेण दु दुवियप्पं सम्मत्तणाणचरणे जो भत्तिं कुणइ सम्मत्तस्स णिमित्तं जिणसुत्तं सम्मत्तं सण्णाणं विज्जदि मोक्खस्स सम्मं मे सव्वभूदेसु वेरं मज्झं सव्ववियप्पाभावे अप्पाणं जो दु सव्वे पुराणपुरिसा एवं आवासयं सव्वेसिं गंथाणं चागो णिरवेक्खसंखेज्जासंखेज्जाणंतपदेसा संजमणियमतवेण दु धम्मज्झाणेण सुहअसुहवयणरयणं रायादीभाववारणं सुहमा हवंति खंधा पाओग्गा 138 241 158 267 130 60 79 123 219 120 215 50 24 322

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