Book Title: Niyam Sara
Author(s): Vijay K Jain
Publisher: Vikalp
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Niyamasāra
नियमसार
Name of the Scripture
कारिका/श्लोक/गाथा
क्रमांक
Page
Acārya Kundakunda's Samayasāra (contd.)
--- सामण्णपच्चया खलु चउरो (३-४१-१०९) 176 --- तेसिं पुणो वि य इमो (३-४२-११०) 176 --- पडिकमणं पडिसरणं (९-१९-३०६) 179
अपडिकमणमपडिसरणम... (९-२०-३०७) 179 --- सव्वे भावे जम्हा (१-३४-३४) 183 --- कम्मं जं सुहमसुहं जम्हि (१०-७७-३८४) 184 --- अहमेंक्को खलु सुद्धो य (३-५-७३) 189 --- जं सुहमसुहमुदिण्णं (१०-७८-३८५) 200
सोवणियं पि णियलं (४-२-१४६) 231 --- ण वि परिणमदि ण (३-८-७६) 251 --- जीवो चरित्तदंसणणाणठिदो (१-२-२) 252 --- णिच्चं पच्चक्खाणं (१०-७९-३८६) 260 --- भावो रागादिजुदो जीवेण (५-४-१६७) । 291
306
Acārya Māilladhavala's Ņayacakko
--- अत्थित्तं वत्थुत्तं दव्वत्त --- णाणं दंसण सुह सत्ति
(१२) (१३)
Acārya Nemicandra's --- सम्मइंसणणाणं चरणं Dravyasamgraha
--- तिक्काले चदुपाणा --- अज्जीवो पुण णेओ --- उवओगो दुवियप्पो --- समणा अमणा णेया
पॉग्गलकम्मादीणं कत्ता --- गइपरिणयाण धम्मो --- ठाणजुदाण अधम्मो --- अवगासदाणजोग्गं --- दव्वपरिवट्टरूवो जो सो --- लोयायासपदेसे इक्केक्के
(३९) (३) (१५) (४) (१२) (८) (१७) (१८) (१९) (२१) (२२)
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