Book Title: Niyam Sara
Author(s): Vijay K Jain
Publisher: Vikalp

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Page 391
________________ शास्त्रोद्धरण अनुक्रमणिका Name of the Scripture Ācārya Kundakunda's Pravacanasāra (contd.) Acārya Kundakunda's Rayaṇasāra Acārya Kundakunda's Samayasara --- --- ➖➖➖ --- ➖➖➖ ➖➖➖ --- ➖➖➖ --- ➖➖➖ ➖➖➖ ➖➖➖ --- INDEX OF SCRIPTURAL EXCERPTS कारिका/ श्लोक /गाथा एवं णाणप्पाणं एवं विदित्थो जो दव्वेसु हिदि जो एवं एवं जिणा जिणंदा असुहोओगरहिदो दंसणणाणचरित्तेसु तीसु पक्खीणघादिकम्मो सव्वगदो जिणवसहो सव्वे णत्थि परोक्खं किंचि वि परिणमदो खलु णाणं आदा णाणपमाणं णाणं णा अप्पत्ति मदं वट्टदि ण वि परिणमदि ण पुण्णफला अरहंता तेसिं मिस्सोत्ति बहिरप्पा वंदित्तु सव्वसिद्धे तं यत्तविहत्तं दाएहं जीवस्स णत्थि वण्णो जीवस्स णत्थि रागो जीवस्स णत्थि वग्गो जीवस्स थिई णो ठिदिबंधट्ठाणा णेव य जीवट्ठाणा कम्मं जं पुव्वकयं संसिद्धिराधसिद्धं ...... क्रमांक ( २ - १०० ) (१-७८) ( १-७७ ) (२-१०७) (२-६७) (३-४२) (१-१९) (१-२६) (१-२२) ( १-२१) (१-२३) (१-२७) (१-५२) (१-४५) ( १४६ ) ( १-१-१) (१-५-५) (२-१२-५० ) (२-१३-५१ ) (२-१४-५२ ) (२-१५-५३) (२-१६-५४) (२-१७-५५ ) (१०-७६-३८३) (९-१७-३०४) Page 191 228 230 238 249 253 269 277 280 285 286 288 290 294 256 xviii xix 162 162 162 162 162 163 166 168 325

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