Book Title: Navpad Prakaranam Author(s): Jinendrasuri, Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 3
________________ K87प्रस्तावना नवपदवृत्तिःमू.देव. व. यशो ॥२॥ : प्रकाशिका : श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला, लाखाबावल, Clo.श्रुतज्ञान भवन, ४५-दिग्विजय प्लोट, जामनगर वीर सं. २५२४ :: विक्रम सं. २०५४ :: सन् १९९८ :: प्रथमावृत्ति - प्रतय ७५० आभारदर्शन पूर्व शेठश्री देवचंद लालभाइ पुस्तकोद्धारक सुरत द्वारा प्रकाशित आ श्री नवपद प्रकरण सटीक प्रकाशित करता आनंद अनुभवीए छीए । आ ग्रंथना कर्ता पू. आ. श्री देवगुप्तसूरीश्वरजी म. छे टीकाकार उपाध्याय श्री यशोदेव महाराज छे । आ ग्रंथy संपादन पू. आ. श्री विजय जिनेन्द्रसूरीश्वरजी म. ए कर्यु छ । आ ग्रन्थ पू. आ. श्री विजय जिनेन्द्रसूरीश्वरजी म. ना उपदेशथी (१) श्री माटुंगा जैन श्वे. मू. तपगच्छ संघ एन्ड चेरीटीझ, किंगसर्कल मुंबइ तथा (२) श्री शीतलनाथ जैन श्वे. म्. तपगच्छ संघ धनजीवाडी, मलाड मुंबइ तरफथी प्रकाशित थयो छे ते माटे दाता श्री संघनो आ माटे आभार मानीए छीए अने भविष्यमां श्रुतज्ञान प्रकाशनमा सहकार आपे ऐज विनंति... ता. १-५-९८ जामनगर महेता मगनलाल चत्रभुज व्यवस्थापक - श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला Jain Educ a tional For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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