Book Title: Navpad Prakaranam
Author(s): Jinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 12
________________ विषयः यादृशं यतिभेदं अतिचारः भंगः भावना उत्पत्तिः देवशर्मा नवपदवृत्ति:मू.देव. व. यशो ॥११॥ ७ परिग्रहः ८ दिग्मानं ९ भोगोपभोग० गाथा: ५७-६५ ६६-७४ ७५-८३ दोषाः चारुदत्तः कोणिकः सेडुबकः सुबन्धुः मंडिता यादवाः गुणाः यतना जिनदात्तः चंडकौशिकः जम्बुः मद्यपः वसुमित्रा १० अनर्थदंडः ८४-९२ कोरंटक चौराः श्राद्धः स्कन्दकः घटवोद्दः वेल्लहलः ११ सामायिकं ९३-१०१ कंडरीकः सागरचंद्रः सुदर्शनः कामदेवः १०२-११० १२ देशावका १३ पौषधः जांगलिकः वैद्यः ११२-११९ शंखः १४ अतिथिसं १२०-१२८ आनन्द: नागश्रीः कुरंगः जीर्णश्रेष्ठी श्रेयांसः १५ संलेखना १२९-१३७ संभूतिः कृतपुष्यः शालिभद्रः महाशतकः पंडुरार्या स्कन्दकः Jain Educat & mabonal For Personal & Private Use Only

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