Book Title: Navpad Prakaranam
Author(s): Jinendrasuri,
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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अंक पत्रं ५० १३३
नवपदत्तिःमू.देव. वृ. यशो ॥१३॥
१०२ २४१ १२८ २८२ ९८ २३९ ८४ २०७ ११५ २५०
२
गाथापादः छट्टेणं आयावण छण्णंगदंसणे फास० जइ जाणंतो गिण्हइ जत्थ बहूर्ण घाओ जयणा लहुयागरुई जह चंडकोसिओ खलः जहसत्तीए उ तवं जं जोगं थेवपि हु जं साहूण न दिण्णं जाणंतस्सवि एवं जारिसओ जइभेओ जिणभवणाइसु संथार जियरागदोसमोहेहि जे इह परिमाणकडा जे दंतसोहणंपिहु जे पुण अणत्थदंडं जे पुण करिति विरई
अंक पत्रं पृ. गाथापादः १० ३८ १ | जे पुण वहविरतिजुया ५३ १५५ १ जे पोसहं तु काउं
१७२ १ जे मिउ सच्चं जंपंति ८० २०५ १ जे चिंतेइ अदिन्नं
८ ३० १ | तत्तायगोलकप्पो ७० १७६ २ तेणाहडं च तक्कर ११६ २५८ १ तेसिं नमामि पयओ १२४ २७० १ थूला सुहुमा जीवा १२५ २८१ २ दठूण दोसजालं १०५ २४३ १ | दाणंतरायदोसा
दिसिपरिमाणं न कु० १२९ २८८ १ दुगतिगद्गद्गदुगएक्क १२ ४३ १ दुन्नि सया तेयाला ६१ १६२ १ दुप्पणिहाणं काउं ४७ १३० १ दुविहतिविहाइ मंसा ८८ २१७ २ दुविहंतिविहेण गुण० ४२ १०९ १ | दुविहंतिविहेण गुण०
अंक पत्रं पृ. गाथापादः २५ ८८ १ दुविहंतिविहेण विउ
देवो धम्मो मग्गो ३४ १०५ २ देसावगासियं पुण ४६ १२९ २ धण्णा य पुण्णवंता ६६ १७३
धम्मज्झेणावगओ १२८ धम्मिर्दियसयणट्ठा ३८ १०७ धीरा य सत्तिमंता. २२ ८५ नमिऊण वद्धमाणं ८६ २१२ पडिवज्जिऊणऽणसणं १२७ २८२ पणमामि अहं निच्चं ६९ १७४ २ पणमामि अहं निच्च ३२ ९८१ परदव्वहरणविरया २१ ८४ २ परदारवज्जिणो इह १०० २४० २ परपुरिसवज्जणाओ ७७ १८४ परिमियाखित्ताओ बहि
पाणाइवाए जयणा ८२ २०६ १ पाणाइवायनिवत्तणं Private Use Only
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१३७ ३०६ ४३ १२० ५४ १५५ ५२ १३८ ६८ १७४ २६ ९४ २४ ८६
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