Book Title: Navpad Prakaranam
Author(s): Jinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 13
________________ मूलगाथा नामका नवपदते:मू.देव. . यशो ॥१२॥ पृ. X रादि अंक पत्रं १८ ५६ ३१ -९७ ८९ -२१८ ९५ -२२१ ९० -२१८ गाथादिपादः अइयरणं जह जायं अट्ठारसहा बंभ अट्ठारसहा बंभ अणभूयं उब्भावइ अणिउत्ता उण पुरिसा अत्थं अणत्थविसयं अब्धक्खाणाईणि अभिग्गहियमणाभि० अलियं च जपमाणा असणं पाणं तह वत्थ० आणयाणि पेसणेऽविय आहार देह सक्कारा इय नवपयं तु मूलगाथानामकारादिः क्रमः अंक पत्रं पृ. गाथादिपादः अंक पत्रं पृ. गाथादिपादः ९ ३३ २ ओरालियं च दिव्वं ४९ १३२ १ एत्थं संका कंखा ४८ १३० इत्थी पुरिसेण समं कणणगोभूमालिय ५६ १५७ १ | इरियासमियाए परि० ७४ -१७९ २ कज्ज अहिगिच्च गिही ३० -९७ २ इहपरलोगासंस० १३५ -३०५ २ कम्मखओवसमेण ६० -१६३ १ उग्गं तप्पति तवं ११९ -२६० कंदप्पं कुक्कुइयं . ५९ -१५८ १ उचियकलं जाणिज्जसु ४४ -१२८ कंदप्पाइ उवेच्च ३७ -१०७ २ | उर्दू अहे य तिरिय ७२ -१७८ काऊण गंठिभेयं खेत्तं वत्थुहिरणं ४ -६ १ उवभोगपरीभोगे ७५ -१८० १ ३३ -१०२ २ उवसग्गपरीसह० खेत्ताइ हिरण्णाई ११८ -२५९ गिरिनयरे तिण्णि वयं० १२१ -२६१ -१ | एक्कं पंडियमरणं १३३ ३०२- २ गुणठाणगंमि तह परि० १०८ -२४६ १ | एगमुहत्तं दिवसं १०७ २४६- २ चत्तकलत्तपुत्तसुहिय० ११२ -२४८ १ एगविहंतिविहेणं १०४ २४३- १ | चाउम्मासिगऽवहिणा १३८ ३०९ २ | एगविहदुविहतिविहं १३ ४३- १ चिंतति करेंति सयंति १४ -४५ ५८ -१५८ ६३ -१७१ ५१ -१३३ ४१ -१०९ ६५ -१७२ १०६ -२४४. ९२ -२१९ Jain Ed Kenternational For Personal Private Use Only nelibrary.org

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