Book Title: Nalvilasnatakam
Author(s): Ramchandrasuri, Vijayendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 8
________________ ग्रन्थकार श्री रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज पू० श्री रामचन्द्रसूरीश्वर महाराज कलिकाल सर्वज्ञ महान ग्रन्थ कर्ता, संस्कृत-प्राकृत व्याकरणादि कर्ता, काव्यकोष त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, योगशास्त्र, प्रमाणमीमांसा आदि विपुल साहित्य ना सर्जन पू. हेमचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजाना मुख्य पट्टधर हता. श्री हेमचन्द्रम. म. ना प्रसिद्ध पट्टधरो(१) श्री रामचन्द्रसू म.- जे आ ग्रन्थना कर्ता तेमनु जीवन अने साहित्य अगे आगल कहे शु. (२) श्री महेन्द्रसू. म.- श्री हैम, नेकार्थसंग्रहनी १४००० श्लोक प्रमाण केरवाकर कौमुदी टीका तेमणे रची छे. आ टीका बे भागमां संपादन करीने आ ग्रंथमाला द्वारा त्रण वर्ष पहेलां सौ प्रथम प्रगट करावी छे. (३) पं. श्री गुणचन्द्र गणि-पं. रामचन्द्र गणिना ते परमप्रीति पात्र हता. बन्नेए साथे मलीने स्वोपशद्रव्यालंकार वृत्ति तथा नाटयदर्पण विवृति रचो छे. (४) श्री वर्धमान गणि-तेमणे कुमारपालप्रशस्तिकाव्यनु व्याख्यान कयू छे. प्रथम आ काव्यना अर्थ कर्या अने पछी आज काव्यना तेमणे ११६ अर्थ कर्या छे. श्री सोमप्रभाचार्यश्रोए कूमारपालप्रतिबोध ग्रन्थ १२४१ मां बनान्यो ते ग्रन्थ आ त्रणे पट्टधरोए सांभल्यो हतो. कुमारपाल प्रतिबोधमां तेमणे लख्यु छ के हेमसूरिपदपङ्कजहंसैर्महेन्द्रमुनिपैः श्रुतमेतत् । बर्धमान गुणचन्द्रगणिभ्यां साकमाकलितशास्त्र रहस्यैः ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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