Book Title: Nalvilasnatakam
Author(s): Ramchandrasuri, Vijayendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 7
________________ जैनेतर ग्रन्थो आ ग्रन्थो संस्कृतमां छे. (१-५) नलोपाख्यान-(१) महर्षि व्यास प्रणोत महाभातरमां, (२) श्री गुणाढ्य कवि विरचित बृहत्कथामां (३) श्री क्षेमेन्द्र कवि विरचित भारत मंजरीमां. (४) श्री क्षेमेन्द्र कवि विरचित बृहत्कथा मंजरीमां. (५) श्री सोमदेव भट्ट कृत कथासरित्सागरमां. (६) नेषधीयचरितं-महाकवि हर्ष विरचित. (७) नलदमयन्ती कथा चम्पू:-श्री त्रिविक्रम भट्ट कृत. (८) नलोदव काव्य-कवि कालिदास ? रविदेव कृत. (६) नलाभ्युदय:-महाकवि वामन भट्ट बाण विरचित. (१०) नलचरितनाटक-श्री नीलकण्ठ दीक्षित कृत. (११) सहृदयानन्दं-श्री कृष्णानन्द कवि कृत. (१२) राघव-नैषधीयं-श्री हरदत्तसूरि विरचित. (१३) भैमीपरिणयनाटकं-श्री मण्डिकलराम शास्त्री-नूतन. (१४) पुण्यश्लोकोदय नाटकं-श्री देवीशरण चकति निर्मित नूतन. (१५) नलदमयन्तीयं--नूतन. (१६) नलानन्दनाटक-श्री जीव विबुध कृत. (१७) नल वर्णन काव्यं-श्री लक्ष्मीधर विरचित. (१८) नलभूमियालरूपकं (१९) नलविक्रमनाटकं (भावप्रकाश निर्दिष्ट) (२०) नलचरित काव्यं (२१) नल यादवपाण्डव-राघवीयं (२२) नलस्तोत्रं (२३) दमयन्ती परिणय काव्यं विगेरेनी ओफेट, कुल्हर, आपर्ट, कील्हाण, सूचिपत्रमा नोंध छे. __ आ बघा चरित्रो आदिमां पात्रो प्रसंगो विगेरे केटलाक भेदो छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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