Book Title: Nalvilasnatakam
Author(s): Ramchandrasuri, Vijayendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 5
________________ जैन जैनेत्तर नल साहित्य, नलविलास तथा तेना कर्ता श्री रामचन्द्रसूरीश्वरजी म० तथा तेमना साहित्य अंगे संस्कृतमां विशद प्रस्तावना पण छे. नल दमयन्ती अंगे जैन जैनेतर साहित्य पुष्कल ग्रन्थो लखाएला छे. जेमांथी हजु केटलाक प्रसिद्ध पण थया नथी. हस्तलिखित संग्रहमां रक्षित छे. जैन ग्रन्थो— (१) नलचरितं - प्राकृत गद्य. धर्मसेनगणि विरचित वसुदेवहिण्डी - मध्यखण्डान्तगंत. (२) नलचरितं - श्री हेमचन्द्राचार्यसूरीश्वर विरचित त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्रान्तर्गत पर्व ८ सर्ग-३ (३) नलायनं कुबेर पुराण - बीजु नाम, श्री माणिक्यसूरि विरचित. (४) नलविलास नाटकं - श्री रामचन्द्रसूरि विरचित. (५) दवदन्ती चरितं - श्री सोमप्रभाचार्य विरचित कुमारपाल प्रतिबोधान्तर्गत. (६) नलोपाख्यानं - श्री देवप्रभसूरि विरचित पांडव चरित्रा न्तर्गत. (७) दवदन्ती चरितं नलदवदन्त्युपाख्यानं श्री विनयचन्द्रसूरि विरचित श्री मल्लिनाथ महाकाव्यान्तर्गत. (८) दवदन्तीकथा - श्री सोमतिलकसूरि विरचित शीलोपदेशमालान्तर्गत. 11 Jain Education International श्री जिनसागरसूरि विरचित कर्पूर प्रकर टीकामां. ( 2 ) दमयन्ती कथा - श्री शुभशीलगणि विरचित भरतेश्वर बाहुबली टीकामां. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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