Book Title: Nalvilasnatakam Author(s): Ramchandrasuri, Vijayendrasuri Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 6
________________ (१०) नलचरितं - श्री देवविजयगणि विहित पांडव चरिता (११) नलचरितं - श्री गुणविजयगणि विरचित गद्य नेमिनाथ चरितान्तर्गत. न्तर्गत. (१२) दवदन्तीचरियं - प्राकृत पाटण भण्डार सूचि पत्रमां. (१३) दमयन्ती प्रबन्ध - गद्य | जैन ग्रंथावलीमां नोंध छे. (१४) - पद्य ** उपरांत हरिवंशपुराण पाण्डवपुराण, नेमिनाथपुराण, त्रिषष्टिलक्षण पुराण, जैन नैषधीय चरित, कथाकोष, कथावली, नेमिनाथ चरित्र, वसुदेव कथा, कनकवती कथा आदिमा अन्तर्गत, स्वतन्त्र चरित्र रूपे नलदमयन्तीना आख्यान छे. गुजरातीमां जैन कविओए रास, चोपाइ, सज्झाय आदि रूपे पण नल दमयन्तीनु जीवन आलेख्युं छे ते नीचे मुजब उपलब्ध न धमां छे. -- रासो नलदमयन्ती रास (१) कर्ता ऋषिवर्धनसू. (अंचलगच्छ) सं० १५१२ (२) कर्ता - मेधराज मुनि (पा.) रचना सं० १६६५ (३) कर्ता - हर्षविजय मुनिराज रचना १७ शतक (४) कर्ता - - उ० समयसुन्दरजी रचना सं० १६७३ (५) कर्ता-ज्ञानसागरजी रचना सं० १७२० ( ६ ) दमयन्ती रास कर्ता-संयमराजसू शिष्य रचना सं० १५६० (७) नलदवदंति चरित्र रास (ले० १५६८) उपरांत जैनेतर कविओ भालण ( १५४५) नाकर (१५८१ ) प्रेमानन्द ( १७२८-४२) आदिए रास आख्यान नल दमयन्तीना जीव अंगे आलेख्या छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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