Book Title: Nagri Pracharini Patrika Part 16 Author(s): Shyamsundardas Publisher: Nagri Pracharini Sabha View full book textPage 8
________________ ३६० नागरीप्रचारिणी पत्रिका सवैया हार रहे सब भूप घलूर के जाके लिये बहुतो धन लायो । हारे पठान उठान सभी पुनि जो गढ़ काहु के हाथ ना आयो॥ जो लगी कैद भयो देवीचंद जो दे धन श्री रणजीत छुड़ायो। सो कुटलेहड श्री वृजराज प्रसादहुँ तें बिन खेद ही पायो ॥३४॥ __ भावार्थ-जिस ( कुटलेहड देश ) के कारण कहलूर के राजे बहुत धन व्यय करने पर भी हारे रहे, जिस देश के पीछे पठान इत्यादि हारे रहे पर वह दुर्ग किसी के हाथ न आया, जिसके पीछे राजा देवीचंद (डाडापति) कैद रहा; जिसे धन देकर महाराजा रणजीतदेव ने छुड़ाया था वह कुटलेहड का देश वृजराजदेव ने बिना परिश्रम के ही ले लिया। , दोहा-कूच कलेश्वर तें कियो सेना चली अपार । ___ लूट जारि छिनमाँ कियो सीवा मुलक उजार ॥३५॥ भावार्थ-कलेश्वर से कूचकर सेना लिये एक क्षण में सीवा देश को लूटकर और आग से जलाकर विध्वंस कर दिया। सोरठा-सीवापुर को राइ नाम नरायणचंद पुनि । प्राइ मिल्यो अकुलाइ भूपति भूपकुमार सों ॥३६।। भावार्थ-सीवा देश का राजा नारायणचंद व्याकुल हुआ और वृजराजदेव की शरण में प्राकर मिला। सोरठा-श्री वृजराजकुमार जीति सबै या भूप को। __ ग्राम पृथीपुर सार दोनो गोविंदचंद को ॥३७॥ भावार्थ कुमार वृजराजदेव ने राजा सीवा को जीतकर उसका ग्राम पृथ्वीपुर राजा गोविंदचंद ( डाडापति ) को दे दिया। दोहा-जीति सबै या भूप को गए गुहासन फेरे । गोपीपुर डेरे किए राजपुरा महगेर ॥ ३८॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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