Book Title: Nagarkot Kangada Mahatirth
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Bansilal Kochar Shatvarshiki Abhinandan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 103
________________ उल्लेख रुद्र पद भक्त रूप में किया है किन्तु सूची में २२वां नाम 'वल्हण' का लिखा है उसके बाद २३वाँ जयतचंद दोनों में है। पृथ्वीराजरासो के 'कांगुरा युद्ध' प्रकरण में कांगड़ा दुर्ग के विजय की कहानी लिखी है। इसके अनुसार जालंघर देवी ने स्वप्न में राजा पृथ्वीराज को वर देते हुए भोट भान (जो सभवतः तिब्बत का कोई भोट राजा नगरकोट पर अधिकार किये बैठा होगा ) को और फिर पलहन को जीतने का आदेश दिया। और उसने वीर रधुवंशी हम्मीर ( हाहली) के द्वारा उन्हें जीता, अस्तु। यहाँ वणित राजा पल्हन हो उपयुक्त सूची में कथित २२ वल्हन होना चाहिए। छंद में उसका वर्णन कर सीधा २२ राजा जयसिंघचन्द्र के पुत्र २३ जयतचंद्र का ही उल्लेख किया है। यह जयतचंद या जयचंद्र बैजनाथ मन्दिर के लेखानुसार सन् १२०० से १२२० के लगभग हुआ था। दिल्लीश्वर अनंगपाल की मृत्यु सन् ११५१ ई० (वि० सं० १२०८) में हई थी। और उसके बाद मदनपाल राजगद्दी पर बैठा था। खरतरगच्छ युगप्रधानाचार्य गुर्वावली के अनुसार मणिधारी श्री जिनचन्द्रसूरिजी को सं० १२२३ में उसने दिल्ली लाकर चातुर्मास कराया था और उसी वर्ष द्वितीय भाद्रपद कृष्ण १४ को उनका स्वर्गवास हो गया। राजा मदनपाल के सिक्कों का भी वर्णन ठक्कूर फेरू की द्रव्य परीक्षा में आता है। राजा मदनपाल का स्वर्गवास हो जाने पर ही शाकंभरीश्वर महाराज पृथ्वीराज चौहान-जो अनंगपाल का दौहित्र था, को दिल्ली का राज्यासन प्राप्त हुआ। यद्यपि पृथ्वीराज सन् ११७१ ( सं० १२२८ वि०) में राजा हो गया था पर सं० १२३९ में श्री जिनपतिसूरिजी और पद्मप्रभ के शास्त्रार्थ समय वह अजमेर में ही था। रासो का पल्हन या नगरकोट राजाओं की सूची का वल्हन पृथ्वीराज का समकालीन था। छंद में भोट राजा की अधीनता या अन्य किसी कारण से उसका नाम न आया हो पर जयतचंद्र के पश्चात जिसका समय इतिहासकारों ने सन् १२०० से १२२० अनुमान किया है, निश्चित ही उसका उत्तराधिकारी स. १२७३ अर्थात् सन् १२१६ में (२४) महाराजाधिराज पृथ्वीचंद्र विद्यमान था जिसकी सभा में श्री जिनपतिसूरिजी के वहद् द्वार पधारने और जिनपालोपाध्यायजी द्वारा सभा पण्डित मनोदानंद Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158