Book Title: Nagarkot Kangada Mahatirth
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Bansilal Kochar Shatvarshiki Abhinandan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 145
________________ केवलि जंबूथूभु नमि, माल्हंतडे, सिद्धखेत्रहि जोहारि । भावि भगति मोकलावई ए, माल्हंतडे, थूभ प्रदक्षण सारि ॥७॥ भलउ सहू नितु माणियउ पुणु, देजे भवि भवि निज पयसेव । पास सुपास प्रभु वीर जिण, माल्हंतडे, त्रिजगदेवाधिदेव ।।८।। संघपति तह हिव चालई ए, माल्हंतडे, पंथिहिं पयडु अबीहु। अरियण-गय-घड भंजई ए, माल्हंतडे, जिसउ पंचायण सीहु ॥९॥ नयर सहार आवियउ, माल्हंतडे, संघ पहाडिय थानि। विउहा पासु नमति करे, सुणि सुंदरि, सघपति अति बहुमानि ॥१०॥ गिरिवट नइ उल्लंघि करे, माल्हंत डे, भवहंड पास नमेवि। जो जिहत उ संघ आवियउ, सुणि सुंदरि सो मनि पंथु लहेवि ॥११॥ तेजारइ पुरि आवि करे, माल्हंतडे, नयणागर संघपत्ति। कोटि हिसारह पंथु लेई, सुणि सुदरि, देवगुरह पयभत्ति ॥१२।। भट्टनयरि संघु आवियउ, माल्हंतडे, पइसारउ बहु भावि । वइरो वल्हो रंजियउ, सुणि सुंदरी, मंगल धवल वधावि ।१३।। पूनकलस सिरि ठावि करे, माल्हंतडे, अयहव सूहव नारि। मोहिलनंदनु चिर जयउ ए, सुणि सुदरि, उच्छव घरि घरि वारि ॥१४॥ मथुरापुरि जिणु वदियउ, माल्हतड, मुनिसरसूरि पसाइ। रयणप्पहसूरि गहगहिउ, सुणि सुंदरि, ऊलटु हियइ न माइ ॥१५।। सहिय सुआसिणि रंजियइ, माल्हंतड, नयण दियहिं आसीस। पुत्र-कलत्र-धण-कण-सहिय उ, सुणि सुदरि, जीवउ कोडि वरीस ॥१६॥ Jain Ed.१२६. nidhational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158