Book Title: Nagarkot Kangada Mahatirth
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Bansilal Kochar Shatvarshiki Abhinandan Samiti

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Page 157
________________ आदिनाथ के दर्शन किए, संघपति खीमचंद ने कुंकुम चंदन कस्तूरी से भावपूर्वक पूजा की । पुष्पमाला और कृष्णागरु अपंण कर जिन भक्ति की, रायण रूख को बधाया । अवारित सत्र देकर ध्वाजारोप किया और विदा होते समय स्वर्ण - वृष्टि द्वारा याचकों को संतुष्ट किया । फिर ललतासर के तट पर आये । पालीताना से वलही होते हुए घंधूका आकर वीर प्रभु की स्तवना की । भूझवाडा, नागावाड़ा होते हुए क्रमश: छडिहि शीघ्र प्रयाण द्वारा भटनेर आये । घर घर में वंदरवाल सजाए, मोतियों से चौक पूरा गया, पुण्यकलश लेकर गीत गाते हुए वाजित्रों के साथ संघपति का स्वागत हुआ । राय हमीर को संघपति ने पहरावणी दी । सर्वत्र हर्ष हुआ, लोढाकुल को उद्योत करने वाला संघपति खीमचंद शासनदेवी के सानिध्य से चिरकाल जयवंत रहे । १३८ 1 Jain Educatoa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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