Book Title: Nagarkot Kangada Mahatirth
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Bansilal Kochar Shatvarshiki Abhinandan Samiti

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Page 141
________________ तासु कुक्खि गुणरयणरासि हंबउ पभणीजइ । कुलदीप चहु देसि सयलि नयणउ जाणीजइ || नयणा - संघपति - घरणि नाम गूजरि सुपहाणी । भागि सुभागिहिं रयणकुक्खि गुण गउरि-समाणी ॥ ६ ॥ ॥ साधारण धिय धम्मि सधर धन्नागर धरणी । वयरा हल्हा रयणसीह परिवारह जणणी ॥ इय निय परियण-कलत पुत्त परिवार- संजुतउ । सोहइ महियलि महिमवंतु नयणउ जयवंत ॥७७॥ ॥ घात 13 भटनयरु, जंबुदी विहि, जंबुदी विहि नयरु तिह राजा हंबीरवरो न्याय चाय चहुदिसि पसिद्धउ । तह नाहर - वंसि घरु नागदेउ खिमघरु समिद्धउ ॥ गुल्ला साख सिंगार - करो डालण कुलिहि पवित्तु । धम्म - कम्म उज्जोय करु नयणागरु जयवंतु ॥८॥ - - - * द्वितीय भाषा अन्न दिवस नयणागरिहिं मेलिउ निय - परिवारु । त विक्कागरु संघपत्ति तहिं त वीधउ बुद्धि - भंडारु ॥१॥ १२२ Jain Educationa International त गुन्ना - नंदणु अतुलबलो वइरो वीनवि ताम । त भुल्ला - संघपति - कुमरु त सज्जणु सच्चर नामु ||२|| त घन्ना - सुतु वल्हउ सधरो त हल्लउ सुयण - सहारु । नियमनि घरि उच्छाहु घणउ वीनवियउ परिवारु ॥३॥ - सिद्धखेतु मथुरापुरिय तीरथ जात्र करे । सप्त खेति वितु वावि करे हंउ जीविय - फल लेसु ॥४॥ - त वीउ वइरो वयणु सुणि मणि वियसिय पभणंति । जात करहु कुल उद्धरहु जिम जगि जस पसरति ॥ ५॥ For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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