Book Title: Nagarkot Kangada Mahatirth
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Bansilal Kochar Shatvarshiki Abhinandan Samiti

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Page 142
________________ त वडग च्छिहि मुणिसिहरसुरे सिरियतिलय सुरिराय । तसु पट्टि भदेसरसूरि गुरो मुणिसरसूरि पसाय ॥ ६ ॥ देवालइ थिरु थप्पियउ नाभि नरिंद - मल्हारु । त प्रस्थान करि गहगहए गूजरि - तपउ भतारु ॥७॥ वइसाखह बदि बीय दिये पोपा कुल - सिंगारु । त करमागर संघपति सहिउ चालइ संघु अपारु ॥८॥ सरे गयणंगणि O त भुंगल - मद्दल - संख मग्राण- बंभण- भट्ट - मिसि - - - ददुर मोर सेयंबर - मुणिवर - मिसिहिं धवलय चहुदिसि लोहरि संघु आवियउ पढम पयाणइ तनउहर - गोगासर - पहिहिं हिसारि सरसा-पट्टण संघु तहिं तिहि कोटि आवियउ Jain Educationa International त छहंसण पोषइ सुपरे ठामि बहादुरपुर आवियउ नयणागरु ठामि बहु गज्जति । रसंति ||९|| कित्ति । भत्ति ।। १०॥ हुत्तु । बहुत्तु ॥। ११ ॥ त पइसारउ उच्छवि करए नयरलोउ वित्थारि । जिण सासण - मज्झारि ॥ १३॥ पंच सद् गडयडहि तहिं ।। घात ॥ For Personal and Private Use Only भत्ति । संघपत्ति ||१२|| अन्न दिवसिहि, अन्न दिवसिहि मेलि परिवारु, धर्म्मका करिबा भणिय भाव भगति वीनवइ संघपति । देवालय थपियउ सुहमुहुत्ति सिरि-पढम - जिणपति || भट्टिय नयरह आवि करे पहुतउ नयरि हिसारि । जयणागरु तहि आवियउ बहादुरपुरह मकारि ॥ १४॥ तृतीय भाषा बहादुरपुर वरिहिं | खेमा गूडर ताणी ए नयरि खान दिलावर - मानू ए लाघउ नयणइ बहु परिहिं ॥ १ ॥ [ १२३ www.jainelibrary.org

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