Book Title: Murtipooja ka Prachin Itihas Author(s): Gyansundarvijay Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpmala View full book textPage 5
________________ 3mmmmmmmmmmmmmm- Commmmmmmmmmm-: mammy 'श्रीरत्नप्रभाकर ज्ञान पुष्प माला' पुष्प नं. १६४ " श्रीरत्नप्रभसूरीश्वर पादकमलेभ्यो नमः । ANTARNAMAnemaraNIMImammi पजा का - - प्राचीन इतिहास memmmmmm. COM2. 0mmmmmmmmCALSmins लेखकजैनजाति महोदय, धर्मवीर समरसिंह, जैन जाति निर्णय, सिद्धप्रतिमा मुक्तावलि, गयवरविलास, शीघ्रबोध, और श्रीमान् लोकाशाह आदि १७१ प्रन्थों. के सम्पादक एवं लेखक श्रीउपकेशगच्छीय मुनि श्री ज्ञानसुन्दरजी महाराज wimmiumming.... mammmmmOrim२' . ओसवाल संवत् २३९३ वीर सं० २४६३ ई० सन् १९३६ वि० सं० १९६३ दोनों पुस्तक "मूर्ति पूजा का प्राचीन इतिहास" [ मूल्य व " श्रीमान् लौकाशाह " का .. FF .................. 2000rsawww .mpmoment Sonven ...000000000000 .............................................. mamirmoniamrRIMAR roman .. ........................ ........ ........ ............. .1004 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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