Book Title: Murkhshatakam
Author(s): Hiralal Hansraj Shravak
Publisher: Hiralal Hansraj Shravak

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Page 135
________________ DिA---रिपरिक आराधना पयन्नो. नमिकण नगइ एवं ॥ जयवं समनच्चियं समाइससु ।। तत्तो वागर गुरु ॥ पद्यनाराहणं एवं ॥१॥ श्री गुरु महाराजचे नमस्कार करीने आ प्रमाणे शिप्य कहे के हे भगवन् ! मनै समयने चित्त आदेश करो (आराधना करावो) त्यारे गुरु महाराज छेवटनी आराधना आ प्रमाणे भणे ॥१॥ बालोश्सु अश्यारे ॥ वयाइ नच्चरसु खमिसु जीवेसु॥ वोसिरिसुनाविअप्पा ॥ प्रहारस पावगणाई॥॥ १ अतिचार आलोवो. २.व्रत उचरो. जीवाजोनी खमावो. ४ आत्माने भावीने अदार पाप स्थानक | वोसिरावो ॥२॥ चनसरण उक्का गरिहणं च ॥ सुकमाणुमायणं कुणसु ॥ सुहन्नावणं भासणं ॥ पंच नमुक्कार सरणं च ॥३॥ समा+ESABSNBCN

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