Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 02 Author(s): Badriprasad Sakariya Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur View full book textPage 6
________________ सञ्चालकीय वक्तव्य मुंहता नैणसी विरचित ख्यातके प्रथम भागका प्रकाशन राजस्थान पुरातन ग्रन्थमालाके ४८ वें ग्रन्थाङ्कके रूपमें किया जा चुका है। अब उक्त ख्यात का यह द्वितीय भाग प्रस्तुत किया जा रहा है । 'मुंहता नैणसीरी ख्यात' राजस्थानी भाषामें लिखित गद्यकी एक महत्त्वपूर्ण रचना है और इसके पूर्ण रूपेण प्रकाशित होने पर अनेक वर्षोंसे अनुभव किये जाने वाले एक अभावकी पूर्ति हो जावेगी। ऐतिहासिक दृष्टिसे भी यह रचना कम महत्त्वकी नहीं है। प्रस्तुत रचनामें मुख्यतः राजस्थानका प्राचीन और मध्यकालीन इतिहास निगुम्फित है किन्तु प्रासङ्गिक रूपमें राजस्थानसे संलग्न प्रदेशों, जैसे गुजरात और मध्यभारत आदिकी इतिहास-विषयक पर्याप्त सामग्री भी उपलब्ध होती है। मुंहता नैणसीकी इतिहास-विषयक व्यापक जानकारीका परिचय भी इस रचनासे प्राप्त होता है। .. राजस्थानी भाषाके इस महत्वपूर्ण ग्रन्थका प्रकाशन भारत ... सरकारके वैज्ञानिक और सांस्कृतिक मंत्रालयके सहयोगसे अाधुनिक ... भारतीय भाषा-विकास-योजनाके अन्तर्गत किया जा रहा है, जिसके .. लिए हम भारत सरकारके प्रति आभार प्रकट करते हैं । मुंहता नैणसीरी ख्यातकी शेष सामग्री तृतीय भागके रूपमें शीघ्र ही प्रकाशित करनेका प्रयत्न चालू है । ग्रन्थगत नामानुक्रमणिका और सम्पादकीय प्रस्तावना आदि भी ग्रंथके तृतीय भागमें ही प्रकाशित किये जावेंगे। .... जोधपुर. ता०३ अप्रेल, १९६२ ई. मुनि जिनविजय सम्मान्य सञ्चालक राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान ___ जोधपुर.Page Navigation
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