Book Title: Mrutyu Samaya Pahle Aur Pashchat Author(s): Dada Bhagwan Publisher: Mahavideh Foundation View full book textPage 9
________________ मृत्यु समय, पहले और पश्चात.. मृत्यु समय, पहले और पश्चात्... याद रहे तो क्या होगा? दादाश्री : वह किसे याद आता है कि जिसे मरते समय ज़रासा भी दु:ख नहीं पड़ा हो और यहाँ अच्छे आचार-विचारवाला हो, तब उसे याद आता है। क्योंकि वह माता के गर्भ में तो अपार दु:ख होता है। ये दु:ख के अलवा दूसरा भी दुःख होता है मृत्यु हुइ है उसका भी, ये दोनों होते हैं। इसलिए फिर वह बेभान हो जाता है दु:ख के कारण, इसलिए याद नहीं रहता है। अंतिम पल में गठरियाँ समेट न... लिए करेगा तो खिरनी का (पेड़ का नाम) जन्म मिलेगा। फिर पाँच सौ साल तक भोगते ही रहना। फिर तेरे फल लोग खाएँगे, लकड़ियाँ जलाएँगे। फिर लोगों द्वारा तू कैदी की तरह काम में लिया जाएगा। इसलिए भगवान कहते हैं कि तेरे मन-वचन-काया और आत्मा का उपयोग दूसरों के लिए कर, फिर तुझे कोई भी दुःख आए तो मुझे कहना। और कहाँ जाते हैं? प्रश्नकर्ता : देह छूटने के बाद वापस आने का रहता है क्या? दादाश्री : दूसरे कहीं जाना ही नहीं है। यहीं के यहीं, अपने पास-पडोस में जो बैल-गाय बंधते हैं. कत्ते जो नज़दीक में रहते हैं न. अपने हाथों ही खाते-पीते हैं, अपने सामने ही देखते रहते हैं, हमें पहचानते हैं, वे हमारे मामा हैं, चाचा हैं, फूफा है, सब वही के वही, यहीं के यहीं ही हैं। इसलिए मारना मत उन्हें। खाना खिलाना। आपके ही नज़दीक के हैं। आपको चाटने फिरते हैं, बैल भी चाटते हैं। रिटर्न टिकट! प्रश्नकर्ता : गाय-भैंसों का जन्म बीच में क्यों मिलता है? दादाश्री : ये तो अनंत जन्मों, ये लोग सभी आए हैं, वे गायोंभैंसों में से ही आए हैं। और यहाँ से जो जानेवाले हैं, उनमें से पंद्रह प्रतिशत को छोड़कर बाकी सब वहाँ की ही टिकट लेकर आए हैं। कौन-कौन वहाँ की टिकट लेकर आए हैं? कि जो मिलावट करते हैं, जो बिना हक़ का छीन लेते हैं, बिना हक़ का भोगते हैं, बिना हक़ का आया, वहाँ जानवर का अवतार मिलनेवाला है। पिछले जन्मों की विस्मृति प्रश्नकर्ता : हमें पिछले जन्म का याद क्यों नहीं रहता और यदि एक अस्सी साल के चाचा थे, उन्हें अस्पताल में भर्ती किया था। मैं जानता था कि ये दो-चार दिन में जानेवाले हैं यहाँ से. फिर भी मझे कहते हैं कि 'वे चन्दूलाल तो हमें यहाँ मिलने भी नहीं आते।' हमने बताया कि 'चन्दूलाल तो आ गए।' तब कहते कि 'उस नगीनदास का क्या?' बिस्तर में पड़े-पड़े नोंध करते रहते कि कौन-कौन मिलने आता है। अरे, अपने शरीर का ध्यान रख न ! ये दो-चार दिनों में तो जानेवाला है। पहले तू अपनी गठरियाँ सँभाल। तेरी यहाँ से ले जाने की गठरी तो जमा कर। यह नगीनदास नहीं आया तो उसका क्या करना है? बुखार आया और टप्प बूढ़े चाचा बीमार हों और आपने डॉक्टर को बुलाया, सभी इलाज करवाया, फिर भी चल बसे। फिर शोक प्रदर्शित करनेवाले होते हैं न, वे आश्वासन देने आते हैं। फिर पछते हैं, 'क्या हो गया था चाचा को?' तब आप कहो कि असल में मलेरिया जैसा लगता था, पर फिर डॉक्टर ने बताया कि यह तो जरा फ्लू जैसा है!' वे पड़ेंगे कि किस डॉक्टर को बुलाया था? आप कहो कि फलाँ को। तब कहेंगे, 'आपमें अक्कल नहीं है। उस डॉक्टर को बुलाने की ज़रूरत थी।' फिर दूसरा आकर आपकोPage Navigation
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