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मृत्यु समय, पहले और पश्चात..
मृतको के प्रतिक्रमण? प्रश्नकर्ता : जिसकी क्षमा माँगनी है, उस व्यक्ति का देह विलय हो गया हो, तो प्रतिक्रमण कैसे करें?
दादाश्री : देहविलय हो गया हो, तब भी उसकी फोटो हो, उसका चेहरा याद हो, तो कर सकते हैं। चेहरा ज़रा-भी याद नहीं हो
और नाम मालूम हो, तो नाम लेकर भी कर सकते हैं, तो उसको पहुँच जाएगा सब।
प्रश्नकर्ता : यानी मृतक व्यक्ति के प्रतिक्रमण किस प्रकार करें?
दादाश्री : मन-वचन-काया, भावकर्म, द्रव्यकर्म, नोकर्म, मृतक का नाम तथा उसके नाम की सर्व माया से भिन्न ऐसे, उसके शुद्धात्मा को याद करना, और बाद में 'ऐसी गलतियाँ की थीं' उन्हें याद करना (आलोचना) उन गलतियों के लिए मझे पश्चाताप होता है और उनके लिए मुझे क्षमा करो (प्रतिक्रमण)। ऐसी गलतियाँ नहीं होंगी ऐसा दृढ़ निश्चय करता हूँ। ऐसा तय करना है (प्रत्याखान)। 'हम' खुद चन्दूभाई के ज्ञाता-दृष्टा रहें और जानें कि चन्दूभाई ने कितने प्रतिक्रमण किए, कितने सुन्दर किए और कितनी बार किए।
- जय सच्चिदानंद
अंतिम समय की प्रार्थना जिसका अंतिम समय आ गया हो, उसे इस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिए। 'हे दादा भगवान, हे श्री सीमंधर स्वामी प्रभु, मैं मन-वचन-काया ...* (जिसका अंतिम समय आ गया हो वह व्यक्ति, खुद का नाम ले)... तथा ..*.. के नाम की सर्व माया, भावकर्म, द्रव्यकर्म, नोकर्म आप प्रकट परमात्म स्वरूप प्रभु के सुचरणों में समर्पित करता हूँ। हे दादा भगवान, हे श्री सीमंधर स्वामी प्रभु, मैं आपकी अनन्य शरण लेता हूँ। मुझे आपकी अनन्य शरण मिले। अंतिम घड़ी पर हाज़िर रहना। मुझे उँगली पकड़कर मोक्ष में ले जाना। अंत तक संग में रहना। हे प्रभु, मुझे मोक्ष के सिवाय इस जगत् की दूसरी कोई भी विनाशी चीज़ नहीं चाहिए। मेरा अगला जन्म आपके चरणों में और शरण में ही हो।'
'दादा भगवान ना असीम जय जयकार हो' बोलते रहना। (इस प्रकार वह व्यक्ति बार-बार बोले अथवा कोई उसके पास बारबार बुलवाए।)
मृत व्यक्ति के प्रति प्रार्थना आपके किसी मृत स्वजन या मित्र के लिए इस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिए। 'प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में, प्रत्यक्ष सीमंधर स्वामी की साक्षी में, देहधारी ... *(मत व्यक्ति का नाम लें)... के मन-वचन-काया के योग, भावकर्म, द्रव्यकर्म, नोकर्म से भिन्न ऐसे हे शुद्धात्मा भगवान, आप ऐसी कृपा करो कि ..*.. जहाँ हो वहाँ सुख-शांति पाए, मोक्ष पाए। आज दिन के अद्यक्षण पर्यंत मुझ से ..*.. के प्रति जो भी राग-द्वेष, कषाय हुए हों, उनकी माफ़ी चाहता हूँ। हृदयपूर्वक पछतावा करता हूँ। मुझे माफ करो और फिर से ऐसे दोष कभी भी नहीं हों, ऐसी शक्ति दो।' (इस प्रकार बार-बार प्रार्थना करनी चाहिए। बाद में जितनी बार मृत व्यक्ति याद आए, तब-तब यह प्रार्थना करनी चाहिए।)