Book Title: Mrutyu Samaya Pahle Aur Pashchat
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 23
________________ मृत्यु समय, पहले और पश्चात्.. मृत्यु समय, पहले और पश्चात... 'पुनर्जन्म' है ही, ऐसा नही कह सकते। है ही' ऐसा कोई सबूत दे नहीं सकते। लेकिन उसकी अपनी श्रद्धा में बैठ गया है. ऐसे सभी उदाहरणों से, कि पुनर्जन्म है तो सही! ये बहनजी कहेंगी. इसको सास अच्छी क्यों मिली और मुझे क्यों ऐसी मिली? यानी संयोग सभी तरह-तरह के मिलनेवाले हैं। और क्या साथ में जाता है? प्रश्नकर्ता : एक जीव दूसरे देह में जाता है। वहाँ साथ में पंचेन्द्रियाँ और मन आदि हर एक जीव लेकर जाता है? दादाश्री : नहीं, नहीं, कुछ भी नहीं। इन्द्रियाँ तो सभी एक्ज़ोस्ट (खाली) होकर खतम हो गई, इन्द्रियाँ तो मर गई। इसलिए उसके साथ इन्द्रियों जैसा कुछ भी जानेवाला नहीं है। केवल ये क्रोध-मान-मायालोभ जानेवाले हैं। उस कारण शरीर में क्रोध-मान-माया-लोभ सभी आ गया। और सूक्ष्म शरीर कैसा होता है? जब तक मोक्ष में नहीं जाते, तब तक साथ ही रहता है। चाहे जहाँ अवतार हो, पर यह सूक्ष्म शरीर तो साथ ही होता है। इलेक्ट्रिकल बॉडी आत्मा देह को छोड़कर अकेला जाता नहीं है। आत्मा के साथ फिर सारे कर्म, जो कारण शरीर कहलाते हैं वे, फिर तीसरा 'इलेक्ट्रिकल बॉडी' (तेजस शरीर), ये तीनों साथ ही निकलते हैं। जब तक यह संसार है, तब तक हर एक जीव में यह इलेक्ट्रिकल बॉडी होती ही है! कारण शरीर बंधा कि इलेक्ट्रिकल बॉडी साथ में ही होती है। इलेक्ट्रिकल बॉडी हर एक जीव में सामान्य भाव से होती ही है और उसके आधार पर अपना चलता है। भोजन लेते हैं, उसे पचाने का काम इलेक्ट्रिकल बॉडी करती है। वह खून बनता है, खून शरीर में ऊपर चढ़ाती है, नीचे उतारती वह सब अंदर कार्य करती रहती है। आँख से दिखता है, वह लाईट सारा इस इलेक्ट्रिकल बॉडी के कारण से होता है। और ये क्रोध-मान-मायालोभ भी इस 'इलेक्ट्रिकल बॉडी' के कारण ही होते हैं। आत्मा में क्रोधमान-माया-लोभ हैं ही नहीं। यह गुस्सा भी, वह सब इलेक्ट्रिकल बॉडी के शॉक (आघात) हैं। प्रश्नकर्ता : यानी 'चार्ज' होने में 'इलेक्ट्रिकल बॉडी' काम करती होगी न? दादाश्री : इलेक्ट्रिकल बॉडी हो, तभी चार्ज होता है। नहीं तो यह इलेक्ट्रिकल बॉडी नहीं हो, तो यह कुछ चलेगा ही नहीं। 'इलेक्ट्रिकल बॉडी' हो और आत्मा नहीं हो, तब भी कुछ नहीं चलेगा। ये सारे समुच्य 'क़ॉज़ेज़' हैं। गर्भ में जीव का प्रवेश कब? प्रश्नकर्ता : संचार होता है, तभी जीव प्रवेश करता है। प्राण आता है, ऐसा वेदों में कहते हैं। दादाश्री : नहीं, वे सभी बातें हैं। वे अनुभव की नहीं हैं, सच्ची बात नहीं हैं ये सब । वे लौकिक भाषा की। जीव के बिना कभी भी गर्भ धारण नहीं होता। जीव की उपस्थिति में ही गर्भ धारण होता है, नहीं तो धारण नहीं होता। वह पहले तो अंडे की भांति बेभान अवस्था में रहता है। प्रश्नकर्ता : मुर्गी के अंडे में छेद बनाकर जीव भीतर गया? दादाश्री : नहीं, वह तो यह लौकिक में ऐसा, लौकिक में आप कहते हैं, ऐसा ही लिखा है। क्योंकि गर्भ धारण होना, वह तो काल, सभी साइन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडन्स, काल भी मिले, तब धारण

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