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मृत्यु समय, पहले और पश्चात...
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मृत्यु समय, पहले और पश्चात...
सदा के लिए नहीं। ये लोग तो कैसे हैं, इन्हें पाप करना भी आता ही नहीं है।
इस कलियुग के लोगों को पाप करना आता नहीं है और करते हैं पाप ही! इसलिए उनके पापों का फल कैसा होता है? बहुत हुआ तो पचास-सौ साल जानवर में जाकर वापस यहीं का यहीं आता है, हज़ारों वर्ष या लाखों वर्ष नहीं। और कितने तो पाँच ही वर्ष में जानवर में जाकर वापस आ जाते हैं। इसलिए जानवर में जाना, उसे गुनाह मत समझना। क्योंकि वे तो तुरन्त ही वापस आते हैं बेचारे! क्योंकि ऐसे पाप ही करते नहीं न! इनमें शक्ति ही नहीं है ऐसे पाप करने की।
प्रतिशत अपवाद होता है। दूसरे सब ऊपर चढ़ते ही रहते हैं।
प्रश्नकर्ता : लोग जिसे विधाता कहते हैं, वे किसे कहते हैं?
दादाश्री : वे कुदरत को ही विधाता कहते है। विधाता नाम की कोई देवी नहीं है। 'साइन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडन्स' (वैज्ञानिक सांयोगिक प्रमाण), वही विधाता है। हमारे लोगों ने तय किया कि छठी के दिन विधाता लेख लिख जाती है। विकल्पों से यह सब ठीक है और वास्तविक जानना हो तो यह सच नहीं है।
यहाँ तो कानून यह है कि जिसने बिना हक़ का लिया, उसके दो पैर के चार पैर हो जाएंगे। पर वह कायम के लिए नहीं है। ज्यादा से ज्यादा दो सौ साल और बहुत हुआ तो सात-आठ जन्म जानवर में जाते हैं और कम से कम, पाँच ही मिनटों में जानवर में जाकर, फिर से मनुष्य में आ जाता है। कितने ही जीव ऐसे हैं कि एक मिनिट में सत्रह अवतार बदलते हैं, अर्थात् ऐसे भी जीव हैं। इसलिए जानवर में गए, उन सभी को सौ-दौ सौ साल का आयुष्य नहीं मिलनेवाला है।
वह समझ आए लक्षणों पर से प्रश्नकर्ता : यह जानवर योनि में जानेवाले हैं, इसका सबूत तो बतलाइए कुछ, उसे वैज्ञानिक आधार पर किस तरह मानें?
दादाश्री : यहाँ कोई जो भौंकता रहता हो ऐसा मनुष्य मिला है आपको? 'क्या भौंकता रहता है?' ऐसा आपने उससे कहा था? वह वहीं से, कत्ते में से आया है। कोई बन्दर की तरह हरकतें करे. ऐसे होते हैं ! वे वहाँ से आए होते हैं। कोई बिल्ली की तरह ऐसे ताकते बैठे रहते हैं, आपका कुछ ले लेने के लिए, छीन लेने के लिए। वे वहाँ से आए हुए होते हैं। अर्थात् यहाँ, कहाँ से आए हैं वे, यह भी पहचान सकते हैं और कहाँ जानेवाले हैं, यह भी पहचान सकते हैं। और वह भी फिर
नियम, हानि-वृद्धि का प्रश्नकर्ता : यह मनुष्यों की जनसंख्या बढ़ती ही गई है, इसका अर्थ यह कि जानवर कम हुए हैं?
दादाश्री : हाँ, सही है। जितने आत्मा हैं, उतने ही आत्मा रहते हैं, पर 'कन्वर्जन' (रूपांतर) होता रहता है। कभी मनुष्य बढ़ जाते हैं, तब जानवर कम होते है और कभी जानवर बढ़ जाते हैं, तब मनुष्य कम हो जाते हैं। ऐसे कन्वर्जन होता रहता है। अब फिर से मनुष्य कम होंगे। अब सन् १९९३ से शुरूआत होगी घटने की!
तब लोग केल्क्युलेशन (गिनती) लगाते हैं कि सन् २००० में ऐसा हो जाएगा और वैसा हो जाएगा, हिन्दुस्तान की आबादी बढ़ जाएगी, फिर हम क्या खाएँगे? ऐसा केल्क्यु लेशन लगाते हैं, नहीं लगाते हैं? वह किस के जैसा है? 'सिमिली', उपमा बताऊँ?
एक चौदह साल का लड़का हो, उसका कद चार फुट और चार ईंच हो और अट्ठारहवे साल में पाँच फुट लम्बा हो। तब कहते हैं, चार साल में आठ इंच बढा, तब यह सत्तरवें साल में कितना होगा? ऐसा