Book Title: Mrutyu Samaya Pahle Aur Pashchat Author(s): Dada Bhagwan Publisher: Mahavideh Foundation View full book textPage 8
________________ मृत्यु समय, पहले और पश्चात्... मृत्यु समय, पहले और पश्चात्... है। आपको यह चन्दूलाल, वह मैं ही हूँ, ऐसा शत-प्रतिशत विश्वास है न?' ज़िन्दगी एक कैद प्रश्नकर्ता : आपके हिसाब से ज़िन्दगी क्या है? दादाश्री : मेरे हिसाब से ज़िन्दगी, वह जेल है, जेल! वे चार प्रकार की जेलें हैं। पहली नज़रकैद है। देवलोग नजरकैद में हैं। ये मनुष्य सादी कैद में हैं। जानवर कड़ी मज़दूरीवाली कैद में हैं और नर्क के जीव उमरकैद में हैं। जन्म-समय से ही चले आरी यह शरीर भी हर क्षण मर रहा है, पर लोगों को क्या, कुछ पता है? पर अपने लोग तो, लकड़ी के दो टुकड़े हो जाएँ और नीचे गिर पड़ें, तब कहेंगे, 'कट गया' अरे, यह कट ही रहा था, यह आरी चल ही रही थी। मृत्यु का भय यह निरंतर भयवाला जगत् है। एक क्षणभर के लिए भी निर्भयतावाला यह जगत् नहीं है और जितनी निर्भयता लगती है, उतना उसकी मूर्छा में है जीव । खुली आँखों से सो रहे हैं, इसलिए यह सब चल रहा है। प्रश्नकर्ता : ऐसा कहा जाता है कि आत्मा मरता नहीं है, वह तो जीता ही रहता है। दादाश्री : आत्मा मरता ही नहीं है, पर जब तक आप आत्मस्वरूप हुए नहीं, तब तक आपको भय लगता रहता है न? मरने का भय लगता है न? वह तो अभी शरीर में कुछ दर्द हो न, तब 'छूट जाऊँगा, मर जाऊँगा' ऐसा भय लगता है। देह की दृष्टि नहीं हो, तो खुद मर नहीं जाता है। यह तो 'मैं ही हूँ यह, यही मैं हूँ' ऐसा आपको शत-प्रतिशत यमराज या नियमराज? इस हिन्दुस्तान के सारे वहम मुझे निकाल देने हैं। सारा देश बेचारा वहम में ही खत्म हो गया है। इसलिए यमराज नामक जंतु नहीं है, ऐसा मैं गारन्टी के साथ कहता हूँ। तब कोई पूछे, 'पर क्या होगा? कुछ तो होगा न?' तब मैंने कहा, 'नियमराज है।' इसलिए यह मैं देखकर कहता हूँ। मैं कुछ पढ़ा हुआ नहीं बोलता। यह मेरे दर्शन से देखकर, इन आँखों से नहीं, मेरा जो दर्शन है, उससे मैं देखकर यह सब कहता हूँ। मृत्यु के बाद क्या? प्रश्नकर्ता : मृत्यु के बाद कौन सी गति होगी? दादाश्री : सारी ज़िन्दगी जो कार्य किए हों वे, सारी ज़िन्दगी जो धंधे चलाए हों-किए हों यहाँ पर, उनका हिसाब मरते समय निकलता है। मरते समय एक घंटा पहले लेखा-जोखा सामने आता है। यहाँ पर जो बिना हक़ का सब उड़ाया हो, पैसे छीने हों, औरतें छीनी हों, बिना हक़ का सब ले लेते हैं बुद्धि से, चाहे किसी भी प्रकार से छीन लेते हैं। उन सभी की फिर जानवर गति होती है और यदि सारा जीवन सज्जनता रखी हो तो मनुष्य गति होती है। मरणोपरांत चार प्रकार की ही गतियाँ हुआ करती हैं। जो सारे गाँव की फ़सल जला दे, अपने स्वार्थ के लिए, ऐसे होते हैं न यहाँ? उन्हें अंत में नर्कगति मिलती है। अपकार के सामने भी उपकार करते हैं, ऐसे लोग सुपरह्युमन होते हैं, वे फिर देवगति में जाते हैं। योग उपयोग परोपकाराय मन-वचन-काया और आत्मा का उपयोग लोगों के लिए कर। तेरेPage Navigation
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