Book Title: Mitti Me Savva bhue su
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 233
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२१ एक जगह दुलहन की विदाई हो रही थी एक बालक ने अपने पिताजी से कहा : “बापू ! यह दुलहन क्यों रो रही है ?'' पिता ने कहा : बेटे ! यह माँ-बाप को छोड़ कर जा रही है। इसलिए इसे रोना आ रहा है।" बालक : "और बापू ! यह दुल्हा क्यों नहीं रो रहा है ?" पिता : “बेटे ! इसे रोने की जल्दी नहीं है; क्योंकि आगे जीवन-भर इसे रोना ही रोना है।" विवाह के बाद पहले "जान' (राजस्थान में बरात को जान कहते हैं) जाती है और बाद में “वर'' की बिदाई होती है। जान के बाद वर मिलाने से बनता है - जानवर अर्थात वैवाहिक जीवन में जानवर की तरह कष्ट सहने पड़ते हैं। शायद यही सोचकर रामदास बनारस चले गये और संन्यास लेकर आत्मकल्याण में लग गये। तुकिस्तान के किसी बादशाहने भारत में यह जानने के लिए एक प्रतिनिधि-मण्डल भेजा कि यहाँ के बादशाहों की अपेक्षा भारत के राजाओं की आयु अधिक लम्बी क्यों होती है। प्रतिनिधिमण्डल भारत में आकर दिल्ली के सेम्राट से मिला। अपनी समस्या सम्राट के सामने रखी। सम्राट ने उत्तर में कहा : "आपको बगीचे में एक बड़ के झाड़ के नीचे ठहरना होगा। जिस दिन दिन वह झाड़ सूख जायगा उसी दिन आपकी समस्या का समाधान किया जायगा । उससे पहले नहीं।' प्रतिनिधि इस बात से बहुत घबराये; परन्तु उन्हें अपने प्रश्न का उत्तर तो प्राप्त करना ही था; इसलिए जैसा For Private And Personal Use Only

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