Book Title: Meru Trayodashi Mahatmya Ane Devdravya Bhakshan Ka Natija Author(s): Mansagar Publisher: Hindi Jainbandhu Granthmala View full book textPage 7
________________ (४) साधु चलेगये। तत्पश्चात् राजा व रानी विचारने लगे कि अरे ! अपने को पंगु पुत्र होवेगा!!! अस्तु. क्रमशः धर्मध्यान के प्रभाव से रानी को गर्भ रहा और नौमास पूर्ण होते ही रानी को पुत्रोत्पत्ति हुई । बधाइये ने राजा को जाकर वधाई दी. हे महाराज ! आपके गृह पर पुत्र जन्म हुआ है । सुन कर राजा अत्यंत हर्षित हुआ और बडा भारी जन्म महोत्सव किया। बारहवें दिन सर्व कुटुंबियों को भोजन कराया, और उस कुमार का पिंगल राजा नाम रखा। उस कुमार को सदैव अतःपुर में ही रखते थे, कभी बाहर नहीं निकालते थे। इससे सब लोग राजा से पूछने लगे कि आप राजकुमार को बाहर क्यों नहीं निकालते? राजा ने उनको वक्रोक्तिसे उत्तर दिया कि कुमार अति अद्भुत रूपवान है, इसलिये कोईकी नजर लगजाने के भय से बाहर नहीं निकालते हैं। यह बात सारे नगर में प्रसिद्ध होगई । और सब कहने लगे कि पिंगल राजकुमार सदृश किसीका भी रूप नही है. इसी अवसर में इस अयोध्या नगरी से सवासी योजन दूर मलय नामक एक देश थाPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28