Book Title: Meru Trayodashi Mahatmya Ane Devdravya Bhakshan Ka Natija
Author(s): Mansagar
Publisher: Hindi Jainbandhu Granthmala

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Page 14
________________ ( ११ ) वह परभव में काना, अंधा, चूंचा इत्यादिक अनेकों नेत्र रोगों का भोक्ता होता है, तथा जो जीव पंचेन्द्रिय जीवों का विनाश करता है, उसको परभव में पांचों इंद्रियों की आरोग्यता नहीं मिलती. इस कारण से हे भव्य लोकों ! हिंसा का त्याग करो. असत्य को त्याग सत्य भावन करो, इत्यादिक इस प्रकार का धर्मोपदेश सुनकर राजाने गुरु से पूछा कि, हे स्वामिन् ! मेरा पुत्र किस कर्म से पंगु हुआ ? यह सुन चतुर्ज / नी गांगिल मुनि कुमार का पूर्वभव वर्णन करने लगे. पूर्वभव हे राजन! इस जबूद्वीप के ऐरवत क्षेत्र में अचलपुर नामक नगर में महेन्द्रध्वज नामी राजा था । उसकी उमया नामक पहरानी का सामन्तसिंह नामक कुमार था । एक समय उस कुमार को पाठशाला जाते हुए मार्ग में जुआरी लोग मिले, उनकी संगति से वह जूंआ खेलना सीखा. इसी भांति नीचों की संगति से सातों व्यसन का सेवन प्रारंभ कर दिया। राजा ने उसके व्यसनों को

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