Book Title: Meru Trayodashi Mahatmya Ane Devdravya Bhakshan Ka Natija
Author(s): Mansagar
Publisher: Hindi Jainbandhu Granthmala

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Page 26
________________ ( २३ ) पर्यन्त तो लोक रत्नमय मेरु चढाते रहे, पश्चात् कुछ काल पर्यन्त सोने के मेरु चढाते रहे किन्तु आज कल घृत के मेरु चढाते हैं। इस प्रकार मेरु त्रयोदशी का महिमा श्रवण कर हे भव्य लोको ! शुभ भाव से यह व्रत अंगीकार करो. जिससे इस लोक में मनवांछित सुख संपत्ति तथा परलोक में देवगति का सुख और मोक्षरूप अनन्त सुख की प्राप्ति हो । विशेष विधि. १ उपवास के दिन १२ खमासमण देना और १२ साथिये करना. २ उपवास किया हो और स्त्री जाति को कारण आजावे ( रजस्वला होजाय ) तो उपवास गीनती में आता है गुणना आदि दूसरी तेरस को करदेना. ३ तीन टंक देववंदन, प्रतिक्रमण आदि करना. ४ खमासमण देके इरियावही करके 'आदिनाथ निर्वाण पद आराधनार्थं काउस्सरग करूं कहके

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