Book Title: Meru Trayodashi Mahatmya Ane Devdravya Bhakshan Ka Natija Author(s): Mansagar Publisher: Hindi Jainbandhu Granthmala View full book textPage 9
________________ व्यापारी लोग क्रमशः नगर नगर भ्रमण करतं अयोध्या नगरी में आये । वहां सर्व किराना बेंच कर बहुतसा द्रव्य उपार्जन किया.. पश्चात् अपने देश में खपने योग्य दूसरी जाति का किराना खरीद कर स्वदेश जाने को तैयार, हुए, इतने ही में नागरिको के मुख से राजकुमार के अदभुत रूप का वर्णन सुन, वे राजा के पासगये और कुमार के साथ गुणसुंदरी का संबंध ( सगपण) निश्चित किया. राजाने भी इन व्यापारियों का बड़ा सन्मा. न किया, तथा उनको दाण (महसूल) माफ कर दिया। इससे व्यापारी लोग भी आनंदित हो अपने देश को रवाना हुए। अपने नगर आकर उन्होंने राजा से संपूर्ण वृत्तांत कहा । राजा भी कुमार का अदभुत रूप तथा गुण मुन अत्यन्त ही हर्षित तथा संतुष्ट हुआ । जब पुत्री विवाह के योग्य हुई तव राजाने कुमार को बुलानेके लिए अपने सेवको को अयोध्या भेजे. उन्होंने जाकर राजा अनन्तवीर्य से प्रार्थना की, हे महाराज ! राजकुमार को विवाह के लिये शीघ्र भेजिए । यह सुन राजा मनमें बड़ाPage Navigation
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