Book Title: Meru Trayodashi Mahatmya Ane Devdravya Bhakshan Ka Natija
Author(s): Mansagar
Publisher: Hindi Jainbandhu Granthmala

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Page 10
________________ (७) उदास होकर महल में गया, और एकान्त में जाकर मंत्री से पूछने लगा कि अब क्या उपाय करना चाहिये ? अपना कुमार तो पंगु है, इसका किस प्रकार विवाह करना ? कौन इसे कन्या देगा ? यह सुन प्रधान (राजमंत्री) ने कुछ विचार कर बुलाने को आये हुए सेवकों को बुलाकर कहा कि, अभी राजकुमार यहां नहीं है । इस समय वह यहां से दो सौ योजन दूर मुहग्गी पट्टन नामक नगर में अपने मोसाल (माता के गृह) को गया है । इस लिये अभी लग्न नहीं हो सकेगा । जब कुमार आ जायगा तब तुमको संदेशा दूंगा और कुमार को भेजूंगा। राजमंत्री के ये वचन सुन सेवकों ने कहा कि हे स्वामिन् ! हमारा नगर यहां से बहुत दूर है । इससे बारंबार यहां आना नहीं बनसकता. इसलिये लग्न का दिन आप अभी निश्चित करके कह दीजिए, और उस लग्न पर आपभी शीघ्र पधारिएगा। यह सुन प्रधान ने उत्तर दिया कि आज से सोलहवें मासमें लग्न करेंगे. यह लग्न समाचार लेकर सेवकगण अपने देश को गये, और जाकर राजा से सर्व वृत्तान्त कह सुनाया.

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