Book Title: Meru Trayodashi Mahatmya Ane Devdravya Bhakshan Ka Natija
Author(s): Mansagar
Publisher: Hindi Jainbandhu Granthmala

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Page 5
________________ ( २ ) तीर्थंकरों के कथनानुसार माह कृष्ण त्रयोदशी महात्म्य गौतम स्वामी के सन्मुख वर्णन किया है, उसी आधार पर मैं भी कहता हूं । श्री ऋषभस्वामी के बाद पचासलाख कोडा कोडि सागरोपम के अंतर से श्री अजितनाथ नामक तीर्थंकर हुए। उसी समय के मध्य में श्री अयोध्या नगरी में इक्ष्वाकु वंश में काश्यप गोत्रीय अनन्तवीर्य नामक राजा हुआ। वह अनेकों हाथी, रथ, घोडे, प्यादे आदि सेना का स्वामी था । उसके पांचों रानियां थीं। उनमें प्रियमती नामक रानी मुख्य पहरानी थी। राज्य मंत्री का नाम धनंजय था। वह भी चतुर्बुद्धि निधान तथा महा चतुर था. इस भांति राजा सर्व सुख समाधि से राज्य पालन करता था। एक समय राजा को बडी चिन्ता हुई कि देखो ! मैं ऐसा राज्याधिपति हूं किन्तु मेरे एक भी पुत्र नहीं है तो मेरे बाद मेरे इस राज्य को कौन भोगेगा। कहा भी है कि:-- पुत्रस्य गृहं शून्यं दिशः शून्या अ बांधवाः । " मूर्खस्य हृदयं शून्यं सर्वशून्यं दरिद्रिणः ॥ "

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