Book Title: Mathurano Sinhdhwaj
Author(s): Vijayendrasuri
Publisher: Yashovijay Granthmala

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Page 23
________________ हिन्दी अनुवाद. महाक्षत्रप रजुल की पटराणी अयसिअ कमुइअ, युवराज खरओस्त की पुत्री, नददिअक की माता स्वयं, अपनी माता अबुहोल के साथ, अपनी पितामही ( दादी ) पिश्पसी अपने भाई हयुअर और उसकी पुत्री हन ( आदि ) कौटुम्बिक परिवार और दानेश्वरी संघ के साथ मुकि और उसके घोडेकी धार्मिक विधि करके भगवान् शाक्यमुनि बुद्ध की अस्थिओं की उस स्थान-जो संघाराम की सीमासे बाहर था-में स्थापना की । तथा सर्वास्तिवादियों की चातुर्दिश आज्ञा की स्वीकृति के हेतु एक स्तूप तथा एक संघाराम की भी स्थापना की। युवराज खरओस्त कमुइअ ने अपने दोनो अनुज कुमार खलमस और मज को ( भी इस कार्य में ) सहमत किये ( और ) महाक्षत्रप रजुल के पुत्र और कलुइ का अनुज क्षत्रप शुडस नौलुद ने उर्वरपर के अतिरिक्त अपनी सीमा से अलग वेयउदिने और बुसपर ( अस्थायी निवास encampment ) नामक पृथ्वी के भागको गृहाविहार के आचार्य बुद्धदेव ( अर्थात् ) बुधिल-( जो ) नगर ( काबूल के पास ) के रहने वाले ( और ) बहुत भाषा जानने वाले सर्वास्तिवादी साधु (थे)-को धर्मार्थ भेंट दिया । __महाक्षत्रप कुसुलक पतिक और क्षत्रप मेवकि मियिक के सम्मान के लिए, सर्वास्तिवादिओं के लिए, महासांघिकों के सत्य शिक्षणके लिए, संयम-नियम के सम्मान के लिए, तक्षशिला क्रोनिन के क्षत्रप खरदअ के लिए, सर्व सकस्तान के लिए सर्वास्तिवादी महन्त आचार्य बुधिल-नगर ( काबूल के पास ) के निवासी-को ससंकल्प ( जलाञ्जलिपूर्वक ) प्रदान किया।

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